Updated September 27th, 2018 at 18:11 IST
सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का मानना है कि देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है. यह सार्वजनिक संपत्ति है
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केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. फिलहाल सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है.
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने गलत मान है. इस बेंच में जस्टिस आरएफ नरिमन स एएम खानविल्कर , डीवाई चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा शामिल हैं.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का मानना है कि देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है. यह सार्वजनिक संपत्ति है. इसमें यदि पुरष को प्रवेश की इजाजत है तो फिर महिलाओं को भी अनुमति मिलनी चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने एक अगस्त इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था. जिस पर अब शुक्रवार 28 सिंतबर को कोर्ट की तरफ से फैसला आना है.
दरअसल इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन समेत कईयों ने इस प्रथा को चुनौती दी है. उन्होंने यह कहते हुए कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म करने की मांग की है.
याचिकाकर्ताओं का इस मामले में कहना है कि यह संवैधानिक समानता के अधिकार में भेदभाव है. वहीं एसोसिएशन का कहना है कि मंदिर में प्रवेश के लिए 41 दिन कसे ब्रह्मचर्य की शर्त नहीं लगाई जा सकती क्योंकि यह महिलाओं के लिए असंभव है.
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वहीं याचिका का विरोध करने वालों ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट सैकड़ो साल पुरानी प्रथा और रीति रिवाज़ में दखल नहीं दे सकता. भगवान अयप्पा खुद ब्रह्मचारी हैं और वे महिलाओं का प्रवेश नहीं चाहते.
बता दें केरल में पिछले महिने आयी विनाशकारी बाढ़ के वजह से बंद पड़े सबरीमाला मंदिर के द्वार मलयालम महीने कान्नी के दौरान 16सिंतबर को खोले जाएंगे. पांच दिन तक चलने वाले इस परंपरागत पूजा के लिए श्रद्धालुओं पर लगाए गए प्रतिबंध हटा लिए गए हैं.
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Published September 27th, 2018 at 18:10 IST