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Updated September 27th, 2018 at 12:12 IST

SC का बड़ा फैसला - पति किसी भी हाल में पत्नी का मालिक नहीं

धारा 497 के खिलाफ लगी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एडल्टरी को शादी से अलग होने का आधार बनाया जा सकता है लेकिन इसे अपराध नहीं माना जा सकता

Reported by: Amit Bajpayee
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सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 150 साल पुराने एडल्टरी कानून को रद्द कर दिया हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने धारा 497 को असंवैधानिक माना है. 

इस कानून में कहा गया था कि अगर कोई पुरुष शादीशुदा महिला से अवैध संबंध बनाता है तो उसे पांच साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस धारा को असंवैधानिक माना है. 

धारा 497 के खिलाफ लगी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एडल्टरी को शादी से अलग होने का आधार बनाया जा सकता है लेकिन इसे अपराध नहीं माना जा सकता.

वहीं एडल्टरी को अपराध मानने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा अवैध संबंध को सीधे अपराध नहीं माना जा सकता. अवैध संबंध तभी अपराध जब पत्नी सुसाइड कर ले. 

जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, "एडल्टरी चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपराध नहीं है. यह शादियों में परेशानी का नतीजा हो सकता है उसका कारण नहीं. इसे क्राइम कहना गलत होगा." उन्होंने कहा, "एक लिंग के व्यक्ति को दूसरे लिंग के व्यक्ति पर कानूनी अधिकारी देना गलत है. इसे शादी रद्द करने का आधार बनाया जा सकता है लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है.

जस्टिस नरीमन ने भी एडल्टरी को लेकर ऐसे ही फैसले दिए , उन्होंने कहा महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत'. साथ ही कहा 'महिला से असम्मान का बर्ताव असंवैधानिक 'है. कोर्ट ने कहा हमारी परंपरा मैं की नहीं बल्कि तुम और हम की है.बता दें आई पीसी की धारा 497 महिला को पुरुष के अधीन बनाती थी. 

जाहिर तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से उस सोच पर चोट की है जो महिला को कटघरे पर खड़ा करता है. कोर्ट ने माना कि महिला की गरिमा सबसे उपर है. 

एडल्टरी पर अब तक क्या था कानून?

आपको बता दें याचिका कर्ता ने कहा कि धारा 497 में लिंग भेद है. हमेशा पुरुष को अपराधी मानकर कार्रवाई होती है.  जिसके किसी और की पत्नी के साथ संबंध हैं. पत्नी को इसमें अपराधी नहीं माना जाता. जबकि आदमी को पांच साल तक जेल का सामना करना पड़ता है. कोई पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, लेकिन उसके पति की सहमति नहीं लेता है, तो उसे पांच साल तक के जेल की सज़ा हो सकती है. लेकिन जब पति किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाता है, तो उसे अपने पत्नी की सहमति की कोई जरूरत नहीं है.

लेकिन कोर्ट ने इस पर अलग नजरिया रखा है. पीठ ने कहा यह एक बहुत पुराना कानून है. और संविधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 समानता के अधिकार का हनन है. इसलिए इस पूरे कानून को ही रद्द कर दिया गया है. 

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Published September 27th, 2018 at 11:51 IST

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