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Updated June 1st, 2023 at 11:12 IST

Gehlot vs Pilot: 3 मुद्दे, 15 दिनों का अल्टीमेटम और सुलह के प्रयास फेल! Rajasthan में नहीं थम रही 'कुर्सी पर तकरार'

कांग्रेस हाईकमान की राजस्थान (Rajasthan) की इकाई में कलह को खत्म करने कोशिश लगभग फेल साबित हो चुकी है। अब भी राजस्थान में 'कुर्सी पर तकरार' जारी है।

Reported by: Dalchand Kumar
Rajasthan Congress crisis (Image: PTI)
Rajasthan Congress crisis (Image: PTI) | Image:self
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29 मई की बात थी, जब राजस्थान (Rajasthan) के दो दिग्गज नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को दिल्ली दरबार में बुलाया गया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने दोनों को तलब किया था। खड़गे के निर्देश पर अपने अपने तेवरों को साथ लिए दोनों नेता दिल्ली दरबार में हाजिर भी हुए थे। दोपहर से देर शाम तक मंथन चला, सुलह के पूरे प्रयास किए गए और यहां तक कि कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं को एक साथ बैठाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस से ऐलान कर दिया कि राजस्थान की इकाई में सब कुछ ठीक ठाक है। मगर कांग्रेस की राजस्थान इकाई में हालात इसके उलट ही बने हुए हैं। पहले की तरह अब भी राजस्थान में 'कुर्सी पर तकरार' जारी है।

कांग्रेस हाईकमान की राजस्थान की इकाई में कलह को खत्म करने कोशिश लगभग फेल साबित हो चुकी है। दिल्ली से लौटते ही दोनों नेताओं ने अपने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए। सचिन पायलट के बागी तेवर बने हुए हैं। वो अपनी ही सरकार के विरोध में डटकर खड़े हुए हैं और सार्वजनिक तौर पर मांगों को लेकर अड़े हुए हैं, तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी खुलकर सचिन पायलट को निशाने पर ले रहे हैं और इसका नतीजा ये कि पार्टी अब भी दो धड़ों में बंटी हुई है। सचिन पायलट गुट और अशोक गहलोत का धड़ा दोनों आमने-सामने हैं।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे: पायलट

सचिन पायलट कह रहे हैं कि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे और युवाओं के भविष्य के साथ राज्य सरकार को इस संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए। पायलट ने कहा, 'भ्रष्टाचार और युवाओं के भविष्य के साथ किसी भी तरह का समझौता करना मेरे लिए संभव नहीं है। मैंने 15 मई को जयपुर में अपनी बैठक में युवाओं से वादा किया था और मैंने उस समय जो कहा था, वह मैंने दिल्ली में पार्टी के नेताओं के सामने रखा है और अब सब कुछ पार्टी के शीर्ष नेताओं के संज्ञान में है।' पायलट ने यह भी कहा कि उन्होंने दिल्ली में शीर्ष कांग्रेस नेताओं के सामने युवाओं की शिकायतों को रखकर कुछ भी गलत नहीं किया है, क्योंकि पार्टी ने कई मौकों पर सुझाव दिया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी है।

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मैं वह काम करूंगा जो आलाकमान चाहता है: गहलोत

यही नहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि मेरे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है, मैं तीन बार मुख्यमंत्री रह चुका हूं। आज मेरा कर्तव्य है कि मैं वह काम करूं जो आलाकमान चाहता है जो चुनाव जीतना है। सीएम गहलोत ने कहा, 'आप विश्वास देकर विश्वास जीतते हैं। सब साथ चलेंगे तो हमारी सरकार फिर से बनेगी। अगर आप पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे तो जैसा कि सोनिया गांधी ने अधिवेशन में कहा था कि धैर्य रखने वाले को एक न एक दिन मौका जरूर मिलता है।'

2020 से जारी है गहलोत-पायलट की लड़ाई

वैसे पायलट और गहलोत के बीच लड़ाई 2020 से चली आ रही है और इस लड़ाई की वजह एक 'कुर्सी' बताई जाती है। वो कुर्सी, जहां से पूरे राजस्थान पर नजर होती है, मतलब कि लड़ाई मुख्यमंत्री की कुर्सी की है। याद होगा कि इस लड़ाई ने 2020 में जबरदस्त जोर पकड़ा था और नतीजा ये था कि गहलोत सरकार संकट में घिर चुकी थी। पायलट अपने समर्थकों विधायकों के साथ हरियाणा के गुरुग्राम में जा ठहरे थे, जहां पहले से बीजेपी की सरकार थी। अंदाजा लगाया जाने लगा कि पायलट अब बीजेपी का दामन पकड़ लेंगे और गहलोत सरकार अल्पमत के चलते गिर जाएगी। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने खुद मोर्चा संभाला और जैसे तैसे करके उस समय स्थिति को संभाल लिया। पायलट फिर से समर्थक विधायकों को लेकर जयपुर लौट आए और गहलोत की सरकार से संकट के बादल छट गए।

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ये 3 मुद्दे लेकर पायलट भर रहे 'बगावती उड़ान'

फिलहाल सचिन पायलट कांग्रेस में रहकर ही गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। राजस्थान में तीन मुद्दे तकरार की वजह बने हुए हैं, जिन्हें लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट बगावत का झंडा बुलंद किए हुए हैं। शहर शहर और गांव-गांव जाकर सचिन पायलट इन तीन मुद्दों पर अपनी ही सरकार को घेरने में जुटे हैं। ये भी कह सकते हैं कि पायलट इन तीनों मुद्दों को एक जन आंदोलन का रूप देने में लगे हुए हैं। इसके पहले पायलट ने कथित भ्रष्टाचार के मामलों में राजस्थान सरकार की निष्क्रियता के विरोध में 5 दिवसीय जन संघर्ष यात्रा शुरू की थी।

पायलट के तीन मुद्दों की बात करें तो वो राज्य में भ्रष्टाचार मामले की जांच चाह रहे हैं। इसके अलावा आरपीएससी में बदलाव के साथ साथ पेपर लीक मामले में प्रभावित छात्रों को मुआवजा दिलाने की बात कर रहे हैं। उन्हीं मुद्दों को पायलट लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, 15 मई को सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को इन मुद्दों पर अमल करने के लिए अल्टीमेटम तक दिया था, जो 30 मई को खत्म हो चुका है। आगे की रणनीति के लिए भी सचिन ने ऐलान कर दिया है कि वो कोई समझौता नहीं करने वाले हैं।

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Published June 1st, 2023 at 11:12 IST

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