Updated September 19th, 2020 at 13:34 IST
अगस्ता वेस्टलैंड केस: CBI की चार्जशीट में क्रिश्चियन मिशेल समेत 15 आरोपियों के नाम शामिल
अगस्ता वेस्टलैंड घोटले मामले में CBI ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। बता दें, जिसमें क्रिश्चियन मिशेल समेत 15 आरोपियों के नाम दर्ज हैं।
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अगस्ता वेस्टलैंड घोटले मामले में CBI ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। बता दें, जिसमें क्रिश्चियन मिशेल समेत 15 आरोपियों के नाम दर्ज हैं। अगस्ता वेस्टलैंड VVIP चॉपर घोटाले की चार्जशीट में पूर्व CAG शशि कांत शर्मा का नाम शामिल नहीं है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने अभी तक उनके नाम की मंजूरी नहीं दी है।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला क्या है?
यह घोटाला उच्च स्तरीय राजनेताओं के लिए VVIP हेलीकॉप्टरों की खरीद के सौदे से जुड़ा है। यह आरोप लगाया गया था कि खरीद सौदे में बिचौलियों और यहां तक कि राजनेताओं को रिश्वत दी गई थी। 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 12 अगस्ता वेस्टलैंड AW101 हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 3,600 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे।
यह घोटाला 2013 की शुरुआत में सामने आया था जब कई वरिष्ठ अधिकारियों और हेलीकॉप्टर निर्माता अगस्ता वेस्टलैंड के रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू हुई थी।
क्रिश्चियन मिशेल इस डील के मुख्य बिचौलियों में से एक है। सीबीआई ने पहले आरोप लगाया था कि मिशेल की कंपनियों को इस डील के लिए लगभग 42.27 मिलियन यूरो मिले और उनकी कंपनियों के माध्यम से रिश्वत दी गई। उन्हें 2018 में UAE से भारत में प्रत्यर्पित किया गया था। यह भी आरोप लगाया गया था कि भारतीय वायु सेना के तत्कालीन प्रमुख एसपी त्यागी ने हेलीकॉप्टरों की परिचालन सीमा (reduction in operational ceiling) 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर करने की सिफारिश की थी, जिससे रेस में अगस्ता वेस्टलैंड को लाया जा सके और उसे ये डील मिल जाए। ऐसी भी खबरें हैं कि भारतीय वायु सेना ने बदलावों का कड़ा विरोध किया था लेकिन त्यागी ने वायुसेना प्रमुख बनने के बाद बदलावों को आगे बढ़ाया और रिपोर्टों के अनुसार त्यागी को रिश्वत भी दी गई थी।
इस घोटाले का इटली में पहली बार खुलासा हुआ था जब अगस्ता वेस्टलैंड के CEO ब्रूनो स्पैग्नोलिनी को इटली के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था। कंपनी पर भारतीय वायु सेना (IAF) के साथ सौदा करने के लिए बिचौलियों को रिश्वत देने का आरोप था। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि कई राजनेताओं और नौकरशाहों ने सौदे को सुविधाजनक बनाने के लिए कथित तौर पर रिश्वत स्वीकार की थी। जिसे बाद में इस डील को 2014 में सरकार ने रद्द कर दिया था।
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Published September 19th, 2020 at 13:34 IST
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