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Updated September 13th, 2021 at 17:31 IST

COVID-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच बिहार में बच्चों पर वायरल बुखार का अटैक, अस्‍पतालों में दवाईयों की कमी

कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं जताई जा रही हैं, लेकिन इससे पहले कुछ जगहों पर वायरल बुखार बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है।

Reported by: Suman Keshav Singh
PIC Credit- PTI
PIC Credit- PTI | Image:self
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देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) की तीसरी लहर की आशंका बहुत पहले से जताई जा रही हैं, लेकिन इससे पहले कुछ जगहों पर वायरल बुखार (Viral Fever) बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है। बिहार (Bihar) में स्थिति दिनों दिन बिगड़ रही है। बड़ी तादाद में बच्चों के वायरल बुखार की चपेट में आने से राज्य के बड़े अस्पतालों में शिशु विभाग के बेड लगभग फुल हो गए हैं। अकेले राजधानी पटना स्थित एनएमसीएच (Patna NMCH) में ही करीब 850 बच्चे भर्ती हैं। डॉक्‍टरों की मानें तो बच्चों को कफ, खांसी, सांस लेने में दिक्कत और बुखार की शिकायत है, जिसे वायरल कहा जा रहा है। लेकिन इस वायरल (Viral Fever) से पीड़ित बच्चों की संख्या इतनी ज्यादा है कि हर बेड पर 2-2 बच्चों का इलाज किया जा रहा है। 

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बच्चों में वायरल के प्रकोप ने सरकार की तमाम तैयारियों के दावों की भी पोल खोल कर रख दी है। एनएमसीएच के शिशु इमजेंसी वार्ड में जीवन रक्षक मशीनें खराब पड़ी हैं, जिन्हें अब तक ठीक नहीं किया गया है। डॉक्टर सत्येंद्र की मानें तो बच्चों की हालत खराब हो रही है और ऐसे में लाइफ सेविंग उपकरण के खराब होने की वजह से बच्चों की जान पर खतरा है। 

खराब पड़े हैं उपकरण 

ऑक्सीजन लगाने में उपयोग किए जाने वाले मास्क, पाइप आदि की कमी है। नेब्युलाइजर और दवाएं बच्चों के परिवार वालों को बाहर से लानी पड़ रही हैं, जिसकी वजह से स्वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। एनएमसीएच के डॉक्टर ऋतु राज और डॉक्टर सत्येंद्र कुमार का कहना है कि लाइफ सेविंग मशीन, वेंटिलेटर मॉनिटर, दवाओं आदि खराबी और अनुपलब्धता की जानकारी अस्पताल प्रशासन को दी गई है। लेकिन इसे अब तक ठीक नहीं कराया गया है जिसका खामियाजा मरीजों के परिजनों को उठाना पड़ रहा है। 

दवाओं की पड़ रही कमी 

राजधानी पटना के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल एनएमसीएच में दवाओं की कमी बनी हुई है। कफ और निमोनिया से बच्चे परेशान हैं और अस्पताल के पास दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। डॉक्टर ऋतुराज, जो बच्चों का इलाज कर रहे हैं, उनका कहना है कि इस वक्त अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं की कमी है। वहीं अपने 10 महीने के बच्चे का इलाज कराने आए एक व्यक्ति ने कहा कि उन्हें सारा सामान बाहर से लाने को कहा जा रहा है। इंजेक्शन, ऑक्सीजन लगाने का मास्क और उसके पाइप बाहर से लाने पड़ रहे हैं। डॉक्टर और नर्स दवाओं के नाम लिखकर पर्चा दे रहे हैं, जिनको लोग बाहर से लाते हैं। ऐसे ही एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ बेड दिया गया है। इलाज के लिए सारा सामान दवाएं और उपकरण उन्हें खुद बाहर से लाना पड़ रहा है।

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अस्पताल में सामाजिक दूरी और मास्क नहीं

राजधानी पटना के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में शिशु इमरजेंसी वार्ड के अंदर का नजारा बेहद हैरान करने वाला था। कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन अस्पताल में जमकर हो रहा था। एक बेड पर दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है। इतना ही नहीं, बच्चों के बेड पर उनके अविभावक भी बिना मास्क‍ लगाए बैठे थे। मतलब, कोरोना गाइडलाइन का मखौल जमकर उड़ाया जा रहा है। इसको लेकर मेडिकल स्टाफ का कहना है कि कोई भी उनकी बात नहीं सुनता है। 

हालातों पर क्या बोले एनएमसीएच के सुप्रिटेंडेंट

इन हालातों को लेकर एनएमसीएच के सुप्रिटेंडेंट विनोद कुमार सिंह ने कहा कि 'हमारे पास सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध हैं, हमारी तैयारियां पूरी हैं। अगर मशीनों के खराब होने की बात है तो उसे ठीक कर लिया जाएगा। खराब मशीनों को ठीक करने के लिए एजेंसी है, वो इस काम को करेगी। कुछ दवाओं की कमी है तो उसे भी आज शाम तक मंगा लिया जाएगा। 100 तरह की दवाएं हैं, सभी दवाओं को सरकार की तरफ से उपलब्ध कराना संभव नहीं है।' विनोद कुमार सिंह ने कहा, 'बच्चों में वायरल है और अब तक 865 बच्चे भर्ती हैं। सभी को अलग अलग तरह की दवाएं दी जानी है। सभी के लिए सभी कुछ सरकारी खर्च पर उपलब्ध हो ये संभव नहीं हैं।'

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Published September 13th, 2021 at 17:30 IST

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