Updated March 13th, 2019 at 09:50 IST
राम मंदिर पर मंथन शुरु, क्या बातचीत से बनेगी बात?
देश के सबसे बड़े मुद्दे पर सबसे बड़ी मध्यस्थता शुरु होने वाली है। राम मंदिर के मसले पर समाधान खोजने के लिए तीनों मध्यस्थ अयोध्या पहुंच चुके है।
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राम मंदिर पर मध्यस्थता के लिए कुछ ही देर में औपचारिक बैठक शुरु होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट का गठित पैनल अयोध्या में है, ये मध्यस्थता अवध यूनिवर्सिटी में होगी। जस्टिस फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता करेंगे। इसमें आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू भी शामिल हैं।
ये पैनल हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों से बातचीत के जरिए विवाद का हल निकालने की कोशिश करेगा। पैनल को मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आठ सप्ताह का समय मिला है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मध्यस्थता प्रक्रिया कोर्ट की निगरानी में होगी और इसे गोपनीय रखा जाएगा।
देश के सबसे बड़े मुद्दे पर सबसे बड़ी मध्यस्थता शुरु होने वाली है। राम मंदिर के मसले पर समाधान खोजने के लिए तीनों मध्यस्थ अयोध्या पहुंच चुके है। राम मंदिर पर बीच का रास्ता निकालने के लिए मध्यस्थता पैनल की बैठक शुरू हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक मौका और दिया है ताकि इस विवाद को कोर्ट के बाहर ही सुलझाया जा सके। मध्यस्थता को हिंदू और मुस्लिम समाज दोनों का ही समर्थन है। सभी पक्ष इस मामले में बातचीत के जरिए रास्ता निकलने की उम्मीद लगाए बैठे है।
- बातचीत के बाद फॉर्मूला बनाया जाएगा
- फॉर्मूला जो सभी को स्वीकार्य हो
- हो सकता है कोई फॉर्मूला ना भी निकले
- रिपोर्ट 8 हफ्तों में कोर्ट को सौंप दी जाएगी
अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि किसी एक फार्मूले पर ज़्यादातर पक्षकार सहमत हैं तो उस पर कोर्ट अपनी मुहर लगा देगा। कोर्ट की मुहर लगने के बाद वह सभी को मान्य होगा। अगर कोई सहमत न हो तो पुनर्विचार याचिका के ज़रिए कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकता है।
मध्यस्थता पैनल में रिटायर्ड जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला, वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर हैं। इन पर बड़ी जिम्मेदारी है कि सभी पक्षों में आपसी तालमेल से बातचीत कर समाधान निकालें।
मध्यस्थता पैनल और पक्षकारों की बैठक से राम भक्तों का मंदिर बनाने का सपना सच हो सकता है। सालों से इस विवाद ने राम भक्तों के इंतजार को बढ़ा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक मौका और दिया है ताकि इस विवाद को कोर्ट के बाहर ही सुलझा लिया जाए।
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Published March 13th, 2019 at 09:45 IST
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