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Updated May 18th, 2022 at 17:01 IST

90 फीसदी अकाउंट की तरह कहीं काल्पनिक तो नहीं एलन मस्क की “फ्री स्पीच” थ्योरी: रचित कौशिक

एलन मस्क ने अब 44 अरब डॉलर की भारी भरकम राशि के साथ कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीदने के बाद उसे अस्थाई रूप से होल्ड पर डाल दिया है।

Reported by: Digital Desk
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अप्रैल महीने की शुरुआत में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के 9.2 परसेंट स्टेक खरीदने के पश्चात् संसार के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क ने अब 44 अरब डॉलर की भारी भरकम राशि के साथ कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीदने के बाद उसे अस्थाई रूप से होल्ड पर डाल दिया है। जिसकी वजह उन्होंने स्पैम बताई है। उन्होंने अपने एक ट्वीट के हवाले से अनुमान लगाया है कि ट्विटर के 90 फीसदी से अधिक दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता बॉट या नकली खाते हो सकते हैं। हालांकि जानकार बताते हैं कि डील को अस्थाई तौर पर होल्ड पर रखना उनकी एक चाल हो सकती है, ताकि ट्विटर के लिए कम कीमत पर फिर से बातचीत की जा सके।
समकालीन समय में फ्री स्पीच के स्वयंभू झंडाबरदार बने एलन मस्क अपनी अगुवाई में ट्विटर में बड़ा सुधार लाने की वकालत कर रहे हैं। हालांकि उनका ट्विटर को खरीदना इतना भी आसान नहीं रहा है। फ्री स्पीच को लेकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले एलन मस्क का मानना है कि आज के युग में "फ्री-स्पीच एक गतिशील लोकतंत्र का आधार है। मस्क फ्री स्पीच के इतने बड़े पैरोकार हैं कि वो चाहते हैं कि उनके आलोचक भी ट्विटर पर रहने चाहिए। लेकिन ट्विटर डील के बाद उनकी आलोचना करने वाले कई अकाउंट को उन्होने खुद ब्लॉक कर दिया। ऐसे में उनकी नेक नियत पर बड़े प्रश्न भी खड़े हुए हैं कि क्या वह सच में फ्री स्पीच के सच्चे समर्थक हैं? जिस फ्री स्पीच का झंडाबरदार बनकर वह पूरी दुनिया में क्रान्ति लाने का सपना देख रहे हैं, उस पर वह खुद कितना खरा उतरते हैं? 

अभी हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मस्क की कंपनी टेस्ला के कर्मचारियों से बात की गई थी। उसमें जो बाते निकालकर आईं वो हैरान कर देने वाली रहीं। जैसे की कर्मचारियों का कहना था कि जब उनके संस्थान में फ्री स्पीच की बात होती है, तो टेस्ला के मालिक की सहनशीलता जवाब दे जाती है। कर्मचारियों ने बताया था कि उन्हें कंपनी के बारे में नकारात्मक बातें बोलने से रोकने के लिए एक खास क्लॉज पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं। यही नहीं, टेस्ला प्रमुख पर वर्ष 2018 में अपने कर्मचारियों की फोन टैपिंग कराने के साथ ही कंपनी के कंप्यूटर्स को हैक करने का भी आरोप लग चुका है। इस मामले में जब उनकी कंपनी के एक कर्मचारी ने व्हिसलब्लोअर बनकर तथ्यों को सामने रखा था उसे तुरंत ही निकाल दिया गया। 

मस्क पर समय-समय पर प्रेस को कंट्रोल करने की कोशिश के भी कई आरोप लगते रहे हैं। इतना ही नहीं, अभी हाल ही में वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार के संपादक ने बताया था कि एलन मस्क ने छापने से पहले कंपनी से संबन्धित सभी लेखों की गहन समीक्षा करने का आदेश दिया था, ताकि उनकी छवि पर कोई दाग न आए। उन्होंने बताया था कि इंटरव्यू होने के बाद मस्क ने इसकी समीक्षा करने का दबाव डाला था। अपने लोगों के बीच उनकी छवि एक अघोषित तानाशाह जैसी रही है, जिसे कम ही लोग जान पाये हैं। हर डील में अपना फायदा तलाशने वाले मस्क को जानने वाले बताते हैं की उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं। उन्हें केवल परिणाम से मतलब होता है, जो उनके मन   के अनुरूप हों। इसलिए यह कहना अभी बहुत जल्दबाज़ी होगी कि वो ट्विटर की दुनिया में इंकलाब लाना चाहते हैं। इसे ऐसे समझे कि उनकी कार कंपनी टेस्ला सालों से भारत में अपना बाज़ार बनाना चाहती है, लेकिन भारत सरकार उन्हें इसकी मंजूरी नहीं दे रहा है। बताया जाता है कि इसके पीछे मस्क की ज़िद्द है। भारत सरकार उन्हें देश में टेस्ला की यूनिट लगाने लगाने और मैन्युफेक्चरिंग प्लांट के लिए हर सुविधा देने के लिए तैयार है, बावजूद इसके मस्क भारत में टेस्ला की यूनिट लगाने कि जगह बाहर से गाड़ियों को आयात करने पर ज़ोर देते रहे हैं। 

इसके अलावा मस्क पर कमिटमेंट और गलत बयानी करने के कई आरोप लगते रहे हैं। वर्ष 2018 में मस्क ने बताया था कि उनके पास इतना फंड है कि वो 420 डॉलर की दर से वह पब्लिक कंपनी टेस्ला को प्राइवेट कर सकते हैं। जब इसकी जांच एसईसी (अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने की तो यह चीज पूरी तरह से गलत साबित हुई। जिसके बाद मस्क और टेस्ला दोनों पर ही बीस-बीस मिलियन डॉलर का अलग अलग जुर्माना लगाया था।  

इसे लेकर भारत सरकार के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्रालय ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया था कि भले ही ट्वीटर बोर्ड ने एलन मस्क के 44 अरब डॉलर के खरीद समझौते को मंजूरी दे दी हो लेकिन इसका कोई प्रभाव सरकार की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर जारी किये गये दिशानिर्देशों पर नहीं पड़ेगा। सरकार का कहना है कि उपभोक्ताओं की डाटा प्राइवेसी और सुरक्षा के लिये बनाये गये दिशानिर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। जिसे भी भारत में अपना कारोबार करना है, उसे हमारे नियम और क़ानूनों का सख्ती से पालन करना होगा।

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ये बात समझ से परे है कि अमेरिका जैसे कैपिटललिस्ट देश का एक बड़ा बिजनेसमैन जिसे दुनिया का सबसे अमीर शख्स होने का खिताब हासिल है, वो "फ्रीडम ऑफ स्पीच” इन तीन शब्दों के लिए 44 बिलियन डॉलर्स की भारी भरकम रकम अदा करेगा। 2 बिलियन डॉलर्स का सालाना घाटा झेल रही ट्विटर जैसी कंपनी पर कोई यूँ हीं अपना सब कुछ नहीं लुटा सकता। हालांकि कहने वाले ये भी दबी जुबान से कह रहे हैं कि दुनिया भर के सभी क्षेत्रों की बड़ी हस्तियां इस प्लेटफार्म पर मौजूद है, हो न हो इस टूल की मदद से आने वाले दिनों में इन हस्तियों के ओपिनियन को बदल कर अपने मन मुताबिक चीजें चलाने का, एक मोनोपॉली बनाने का काम किया जा सकता है। बहुत संभव हैं की आने वाले दिनों में इस प्लेटफॉर्म जे ज़रिये इंटलेक्चुअल डिस्कोर्स को कंट्रोल करने की कोशिशें हो। उभरती हुई अर्थव्यवस्था में शामिल भारत जैसे विकासशील देशों के खिलाफ माहौल बनाने में काफी हद तक इसका दुरुपयोग संभव है क्योंकि टेस्ला प्रमुख से भारत सरकार की तनातनी किसी से भी छुपी नहीं है। ऐसे में सीधे शब्दों में यही कहा जा सकता है कि इतने बड़े कद का बिजनेसमैन घाटे कमाने वाली कंपनी में इतना भारी निवेश कर रहा है, तो बात केवल फ्रीडम ऑफ स्पीच की नहीं हो सकती।

(नोट : इस लेख के लेखक रचित कौशिक हैं। इस लेख के अंदर लिखे किए गए विचार और राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। लेख में दिखाई देने वाले तथ्य, विश्लेषण और अनुमान रिपब्लिक भारत / रिपब्लिक वर्ल्ड / ARG Outlier Media Pvt. Ltd. के विचारों को नहीं दर्शाते हैं।)

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Published May 18th, 2022 at 16:57 IST

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