Updated January 3rd, 2019 at 14:10 IST
VIDEO - चुनावी चाणक्य से नेता बने प्रशांत किशोर ने बताया- 2014 लोकसभा जीतने के बाद उन्होंने BJP क्यों छोड़ा
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि , '' मैं लगभग मार्च 2015 तक उनके साथ था. लगातार उनसे संपर्क में था. ऐसा नहीं था कि मैं उनसे दो या तीन बार नहीं बल्कि कई बार मिला
Advertisement
देश के चुनावी रणनीतिकार से JDU के उपाध्यक्ष तक का सफर तय करने वाले प्रशांत किशोर ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी से बात करते हुए कई सनसनी खेज खुलासे किए . नेशन वांट्स टू नो प्रोग्राम में शरीक हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि 2014 लोकसभा जितने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्यो छोड़ा . दरअसल , उन्हें निकाला नहीं गया , बल्कि उन्हें जो करना था वह चुनाव के काफी पहले तय हो गया था
प्रशांत किशोर ने कहा " मुझ जैसे पेशेवर जिन्होंने भी चुनाव कैंपेन में हिस्सा लिया था उन्हे शासन प्रणाली (governance ) में शामिल होकर जिस प्लेटफार्म को तैयार किया था उसे सुचारु रूप से चलाना था.
जब प्रशांत किशोर से सवाल किया गया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ने आपको गवर्नेंस में शामिल करने के बारे में आश्वासन किया था .
इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि ''पीएम मोदी खुद इस बारे में आश्वस्त थे. इस ब्लूप्रिंट को 2014 लोकसभा चुनाव से लगभग 2 साल पहले डिजाइन किया गया था. हमने इसके लिए अपना समय , उर्जा और संसाधन का निवेश भी किया. प्रधानमंत्री बनने के बाद इस बारे में उनसे चर्चा की गई थी. वह अगस्त / सिंतबर 2014 तक इस ब्लूप्रिंट पर तैयार थे . मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री के तौर पर नए थे और शायद उन्हे इसके लिए समय चाहिए था. लेकिन मुझे लगता था कल ही लागू हो जाए. इसलिए मुझे लगता था कि गलती मैंने ही की . ''
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि , '' मैं लगभग मार्च 2015 तक पीएम मोदी के साथ था. लगातार उनसे संपर्क में था. ऐसा नहीं था कि मैं उनसे दो या तीन बार मिला. बल्कि बार मिला. लेकिन उस संस्थान की स्थापना नहीं हो पाई. और अगर उस ब्लूप्रींट को लागू किया जाता तो वह गवर्नेंस में सीएजी के बराबरी का होता.
एक और सनसनी खेज खुलासा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा 'यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने स्टार प्रचार फेहरिस्त में शामिल प्रियंका गांधी को एन मौके पर सभी जिलों में प्रचार करने से रोक दिया गया था. '
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी के आंतरिक परिस्थितियों के बारे में खुलासा करते हुए कहा, ''कांग्रेस हाईकमान के पास यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी से सभी सीटों पर प्रचार कराने की मांग की थी. जून 2017 के अंत तक हमने 14 मॉड्यूल कैंपेन प्रोग्राम तैयार किया था. जो किसी भी तरह से प्रियंका गांधी को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने में मदद नहीं कर रहा था. हां वह एक स्टार प्रचारक के तौर की तरह लिस्ट में मौजूद थी. लेकिन उन्हें एक बार स्वीकृति देने के बाद प्रचार कराने से मना कर दिया गया.
बता दें यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर राहुल गांधी के क़रीबी सहयोगियों में से एक थे. कांग्रेस और सपा में गठबंधन का श्रेय भी प्रशांत किशोर को ही जाता है.
ऐसे में प्रशांत किशोर के इस खुलासे के बाद यह साफ हो गया है कि गांधी परिवार के अंदर सब कुछ सही नहीं है.
Advertisement
Published January 3rd, 2019 at 14:10 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।