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Updated December 3rd, 2018 at 17:39 IST

आरक्षण पर सियासत गरमाई, अब ब्राम्हणों ने की आरक्षण की मांग

आनंद दवे ने मांग की हैं की राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ब्राम्हण समाज का सर्वे करें. इस सर्वे से पता लग जाएगा की हमारे समाज में रह रहें लोगों की मौजूदा स्थिती की जमिन हकि़कत पता चल जाएगी .

Reported by: Dinesh Mourya
| Image:self
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पिछले दो वर्षों से महाराष्ट्र आरक्षण की आग में झुलस रहा हैं . पहले मराठा और धनगर आरक्षण फिर मुस्लिम आरक्षण और अब ब्राम्हण आरक्षण. मराठाओं ने आरक्षण की मांग को लेकर पिछले दो साल में 50 से ज्यादा शांती मार्च निकाले, मुंबई और उससे सटे हुए इलाकों में भारी मात्रा में तोडफोड़ और आगजनी  कई घटनाएं भी हुए थे . हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण बील महाराष्ट्र विधानसभा और विधानपरिषद में पास करने में कामयाबी हासिल की . 

मराठाओ को आरक्षण मिलने के साथ ही राज्य के अन्य जातीयों के लोगों की आशायें भी जाग गई हैं .  मुस्लिमों की तरह ब्राम्हण समाज ने भी आरक्षण की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर दिया हैं .

अखिल भारतीय ब्राम्हण समाज के पुणे युनिट के अध्यक्ष आनंद दवे ने रिप्बलिक टीवी से बात करते हुए कहा कि, हम मराठा समाज को मिले आरक्षण का स्वागत करते हैं. लेकिन हमारे समाज को लेकर लोगों में एक गलतफहमी हैं की हम बहुत ही धनवान हैं पर यह सच नहीं हैं… महाराष्ट्र में ब्राम्हण समाज की आबादी करीब 1 करोड़ के आसपास हैं। इन 1 करोड़ में से करीब 80 फिसदी आबादी ये सामाजिक और आर्थिक रुप से पिछड़ी हैं.


आनंद दवे ने मांग की हैं की राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ब्राम्हण समाज का सर्वे करें. इस सर्वे से पता लग जाएगा की हमारे समाज में रह रहें लोगों की मौजूदा स्थिती की जमिन हकि़कत पता चल जाएगी . बहुत जल्द हम राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अधिकारीयों से भी मुलाकात करने वाले हैं.

ब्राम्हण समाज को आरक्षण देने की मांग के बढ़ने के साथ ही महाराष्ट्र सरकार ने भी साफ कर दिया हैं कि, वो सभी समाज के लोगों की भावनाओं का सम्मान करती हैं। राज्य के राजस्व मंत्री और फडणवीस सरकार मे नंबर दो की हैसियत रखने वाले चंद्रकांत पाटील ने कहा हैं कि, जिन लोगों को लगता हैं की उनका समाज आर्थिक और सामाजिक स्तर पर पिछड़ा हैं वो हमसे संपर्क कर सकतें हैं और उनकी मांगों को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को भेज देंगें ताकि सर्वे होकर सही स्थिती का पता लगाया जा सकें. गौरतलब हैं कि, राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणीस खुद भी ब्राम्हण समाज से आते हैं.

आरक्षण की इस सिसायत ने राज्य में तनाव बढ़ा दिया है. मुस्लिम, धनगर और ब्राम्हण आरक्षण के लिए दबाव बना रहें हैं.  लोकसभा चुनाव से ठिक पहले विपक्षी दल इस आरक्षण को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने की कोशीश कर रहें हैं.  राज्य में पहले ही 50 फिसदी से ज्यादा आरक्षण दिया गया हैं. मराठाओं को 16 फिसदी आरक्षण मिलने के साथ ही राज्य में आरक्षण की मियाद 68 फिसदी तक पहुंच गई हैं . 

सोमवार को मराठा आरक्षण के खिलाफ मुंबई हायकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई हैं. याचिकाकर्ता गुनरतन सदावर्ते ने आरोप लगाया हैं कि, सरकार ने मराठाओं को आरक्षण देकर सुप्रिम कोर्ट के फैसले उल्लंघन किया हैं और मराठा आरक्षण ये असैंविधानिक हैं. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया की जब से उन्होने मराठा आरक्षण को चैलेंज किया हैं तभी से उन्हे जान से मारने की धमकी आ रही हैं.

यह भी पढ़े - आरक्षण चाहने वाले मुस्लिम संगठन सर्वेक्षण के लिये एसबीसीसी से संपर्क कर सकते हैं: फड़णवीस

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Published December 3rd, 2018 at 17:38 IST

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