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Updated September 11th, 2018 at 16:41 IST

अब AAP नेता आशुतोष ने राष्ट्रपति कोविंद पर साधा निशाना

गौरतलब है कि  इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था.

Reported by: Gaurav Kumar
| Image:self
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लाभ का पद' मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर आप नेता आशुतोष ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद  की आलोचन की है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन के शासन काल को महान बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पर निशाना साधा है. आशुतोष ने सोमवार को एक ट्विट किया, " आशा है कि राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जानते होंगे कि के. आर नारायणन भी भारत के राष्ट्रपति रह चुके हैं और उन्होंने एक बार नहीं दो बार कैबिनेट की सिफारिशों को वापस लौटा दिया था. वह एक रबर स्टैम्प वाले राष्ट्रपति नहीं थे. वह एक महान राष्ट्रपति थे, जो बहुत  साहसी थे."   

इससे पहले आप नेता सोमनाथ भारती ने ट्वीट के जरिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के फैसले पर सवाल उठाए थे. सोमनाथ भारती ने अपने ट्विटर पर लिखा है, ''पहले अपने मनपसंद के लोगों को संवैधानिक पदों पर आसीन कराओ और फिर उनसे मर्जीमाफिक और अलोकतांत्रिक फैसले सुनवाओ. और जब हम इन संस्थानों के खिलाफ बोलें तो हमें बोलने की मर्यादा का पाठ सिखाओ. वाह रे मोदी जी! लेकिन गलतफहमी मत पालना, हमे न्यायिक कोर्ट और जनता के कोर्ट दोनों पर भरोसा है''.

गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था. अजय माकन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि ''बीजेपी और चुनाव आयोग ने मिलकर आम आदमी पार्टी की मदद की है. अगर 20 विधायकों को अयोग्य करने का फैसला 22 दिसंबर 2017 से पहले आता, तो ये 20 विधायक राज्यसभा में वोटिंग करने के लिए अयोग्य हो जाते. राज्यसभा चुनाव के लिए ये सभी विधायक वोट नहीं कर पाते.''  

बता दें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है. कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने 'लाभ का पद' मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था. जिसके बाद 'आप' ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी. हाई कोर्ट ने आप के विधायकों को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था. केजरीवाल द्वारा इन सभी विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के बाद से ही इनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा था. चुनाव आयोग ने इन सदस्यों की सदस्यता को अयोग्य ठहराया था.

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Published January 22nd, 2018 at 10:42 IST

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