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Updated November 3rd, 2020 at 18:26 IST

जिनपिंग के साथ बैठक में शामिल न हो PM मोदी, रक्षा मंत्री करें भारत का प्रतिनिधित्व: सुब्रमण्यम स्वामी

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पीएम मोदी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक में शामिल नहीं होना चाहिए।

Reported by: Ritesh Mishra
| Image:self
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक में शामिल नहीं होना चाहिए। उन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजना चाहिए और उनसे चीन को पीछे हटने के लिए कहलवाना चाहिए। 

राज्य सभा सांसद ने ट्वीट करते हुए कहा कि, 'मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक नंवबर में एससीओ, ब्रिक्स और जी 20 सम्मेलनों के लिए पीएम मोदी ने शी जिनपिंग के साथ ऑनलाइन बैठक में शामिल होने के लिए सहमति जताई है। पीएम मोदी को इस बैठक में भाग नहीं लेना चाहिए, लेकिन उन्हें रक्षा मंत्री से भारत का प्रतिनिधित्व करने और चीन को पीछे हटने के लिए कहे।'

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच नंवबर में पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ कई दफा आमने-सामने होंगे। दोनों नेताओं के बीच में पहली मुलाकात 10 नवंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में होगी। वहीं दूसरी बार दोनों नेताओं के बीच में 17 नवंबर को ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन के बीच में होगी। इसके बाद दोनों नेता 21 से 22 नवंबर को बीच में होने वाली जी 20 शिखर सम्मलेन में एक बार फिर दोनों नेता आमने सामने हो सकते हैं। हालांकि, दोनों नेताओं की यह मुलाकात ऑनलाइन होगी।

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BRICS (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) एक प्रभावशाली संगठन है। जो दुनिया की आधी आबादी से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। ब्रिक्स देशों के पास 16.6 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद है।

रूसी सरकार ने एक बयान में कहा, 'ब्रिक्स देशों के नेताओं की बैठक का विषय 'वैश्विक स्थिरता के लिए ब्रिक्स साझेदारी, साझा सुरक्षा और अभिनव विकास' है। इस साल पांचों देशों ने तीनों प्रमुख स्तंभों शांति और सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और वित्त, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान पर करीबी रणनीतिक साझेदारी जारी रखी है।'

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हो गई थी जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गये थे और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवान भी हताहत हुए थे जिसकी अभी तक उसने स्पष्ट संख्या नहीं बताई है। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है। इसके बाद दोनों देशों ने कूटनीतिक और जमीनी दोनों स्तर पर आपस में कई बार बातचीत की। हालांकि सीमा पर शांति व्यवस्था को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है।

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Published November 3rd, 2020 at 18:26 IST

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