Updated July 31st, 2021 at 16:53 IST
'मैला ढोने वालों की नहीं हुई मौत' बयान को सफाई कर्मचारियों ने बताया शर्मनाक, कहा- संसद में झूठ बोलती है सरकार
पिछले पांच वर्षों में मैला ढोने के कारण किसी भी मौत के केंद्र के इनकार पर, एसकेए के प्रमुख बेजवाड़ा विल्सन ने शनिवार को इसे शर्मनाक और इस काम में शामिल सभी व्यक्ति के लिए अपमानजनक करार दिया।
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पिछले पांच वर्षों में मैला ढोने के कारण किसी भी मौत के केंद्र के इनकार पर, सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) के प्रमुख बेजवाड़ा विल्सन ने शनिवार को इसे शर्मनाक और इस काम में शामिल सभी व्यक्ति के लिए अपमानजनक करार दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार सीवर और सेप्टिक टैंक में होने वाली मौतों को रोकने में अपनी विफलता को कवर कर रही है। उन्होंने सरकार से हाथ से मैला ढोने वालों की हत्या बंद करने का आग्रह किया। रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता विल्सन, सफाई कर्मचारी आंदोलन के माध्यम से भारत में मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के लिए संघर्ष करते हैं।
गुरुवार को राज्य सभा में केंद्र सरकार ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में हाथ से मैला ढोने के कारण किसी की भी मौत नहीं हुई है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रश्न के लिखित उत्तर में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि 17 राज्यों में 66,692 लोगों को मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में नियोजित किया गया है।
बता दें, फरवरी में केंद्र ने लोकसभा को बताया था कि पिछले पांच वर्षों में 19 राज्यों में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 340 सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई है।
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हाथ से मैला ढोने के कारण कोई मौत नहीं: केंद्र
मैला ढोने वालों को दी जाने वाली सहायता का राज्यवार विवरण बताते हुए रामदास अठावले ने कहा कि केंद्र ने पिछले पांच वर्षों में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) के लिए 192.16 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके अलावा, एनएसकेएफडीसी ने पिछले पांच वर्षों में इसके लिए 211.84 करोड़ रुपये का उपयोग किया है।
केंद्र ने इस बात की भी जानकारी दी कि हाथ से मैला ढोने वालों को 40,000 रुपये की एकमुश्त नकद सहायता प्रदान की जाती है। कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ 3000 रुपये प्रति माह स्टैपंड दिया जाता है। अठावले ने कहा कि 5 लाख रुपये तक का रियायती ऋण और पूंजीगत सब्सिडी भी दी गई है।
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Published July 31st, 2021 at 16:53 IST
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