Updated June 8th, 2021 at 12:33 IST
महात्मा गांधी की परपोती आशीष को सात साल की जेल; दक्षिण अफ्रीका की कोर्ट ने सुनाया फैसला
आशीष लता रामगोबिन (56-year-old great-granddaughter Ashish Lata Ramgobin) को करीब तीन करोड़ 22 लाख रुपये के धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में करीब 7 साल की सजा सुनाई गई है।
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भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की परपोती आशीष लता रामगोबिन (56-year-old great-granddaughter Ashish Lata Ramgobin) को करीब तीन करोड़ 22 लाख रुपये के धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में करीब 7 साल की सजा सुनाई गई है। ये फैसाल दक्षिण अफ्रीका के डर्बन की एक कोर्ट ने सुनाई है।
आशीष करीब 56 साल की हैं। उन पर बिजनेसमैन एसआर महाराज के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगा था। महाराज ने उन्हें कथित रूप से भारत से एक ऐसी खेप के आयात और सीमाशुल्क कर के समाशोधन के लिए 62 लाख रैंड दिए थे जिसका कोई अस्तित्व नहीं था। इसमें उन्हें लाभ का एक हिस्सा देने का वादा किया गया था।
आशीष लता रामगोबिन जानी मानी ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट इला गांधी और दिवंगत मेवा रामगोबिंद की बेटी हैं। साल 2015 में जब लता रामगोबिन के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी तब राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (एनपीए) के ब्रिगेडियर हंगवानी मूलौदजी ने कहा था कि उन्होंने संभावित निवेशकों को यकीन दिलाने के लिए कथित रूप से फर्जी चालान और दस्तावेज दिए थे कि भारत से लिनेन के तीन कंटेनर आ रहे हैं। उस वक्त लता रामगोबिन को 50,000 रैंड की जमानत राशि पर रिहा कर दिया गया था।
वहीं सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया कि लता रामगोबिन ने ‘न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवेयर डिस्ट्रीब्यूटर्स’ के निदेशक महाराज से अगस्त 2015 में मुलाकात की थी। कंपनी कपड़ों, लिनेन और जूते-चप्पलों का आयात, निर्माण और बिक्री करती है। महाराज की कंपनी लाभांश के आधार पर अन्य कंपनियों को वित्तीय मदद भी मुहैया कराती है।
लता रामगोबिन ने महाराज से कहा था कि उन्होंने ‘साउथ अफ्रीकन हॉस्पिटल ग्रुप नेट केयर’ के लिए लिनेन के तीन कंटेनर मंगाये हैं। रामगोबिन के परिवार और नेट केयर के दस्तावेज के कारण महाराज ने कर्ज के लिए उनसे लिखित समझौत कर लिया। लेकिन बाद में जब उन्हें फर्जीवाड़े का पता चला तो उन्होंने लता के खिलाफ केस दर्ज कराया।
एनपीए की प्रवक्ता नताशा कारा ने सोमवार को कहा, "उसने कहा कि उसे आयात लागत और सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिए वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था और उसे बंदरगाह पर सामान खाली करने के लिए पैसे की जरूरत थी।"
कौन हैं आशीष लता रामगोबिन?
रामगोबिन NGO इंटरनेशनल सेंटर फॉर नॉन वायलेंस में पार्टिसिपेटीव डेवलपमेंट इनिशिएटिव की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक थी, जहां उन्होंने खुद को "पर्यावरण, सामाजिक और राजनीतिक हितों पर ध्यान देने वाली एक कार्यकर्ता" के रूप में बताया था। महात्मा गांधी के कई अन्य वंशज मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और उनमें से लता रामगोबिन के चचेरे भाई कीर्ति मेनन, स्वर्गीय सतीश धुपेलिया और उमा धुपेलिया-मेस्त्री हैं।
(PTI इनपुट के साथ)
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Published June 8th, 2021 at 12:33 IST
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