Updated September 19th, 2021 at 14:54 IST
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने की 'नई शिक्षा नीति' की सराहना, बोले- छात्रों को मिलेगा फायदा
कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सीएन अश्वथ नारायण (Dr. CN Ashwathnarayan) ने नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 लागू होने से छात्रों को होने वाले फायदे के बारे में बात कही है।
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New Education Policy 2020: कर्नाटक (Karnataka) के सीएम बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने हाल ही में प्रदेश में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) लागू करने के विषय में अपना वक्तव्य दिया था। शनिवार 18 सितंबर को कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सीएन अश्वथ नारायण (Dr. CN Ashwathnarayan) ने नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) लागू होने से छात्रों को होने वाले फायदे के बारे में बात की। इससे पहले 15 सितंबर को सीएम बोम्मई ने कहा था कि कर्नाटक सरकार नई शिक्षा नीति पर चर्चा करने के लिए तैयार है और राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों पर निर्णय लेने के लिए एक समिति बनाई गई है।
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कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए, शिक्षा मंत्री डॉ. अश्वथनारायण ने कहा, "कॉलेज ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की दो सबसे प्रासंगिक शाखाओं में पाठ्यक्रम पेश करेगा, प्रत्येक शाखा में 60 छात्र होंगे। 62.80 करोड़ की लागत से बने कॉलेज में 15 एकड़ का परिसर है, जिसमें अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा इसी शैक्षणिक वर्ष से ही शुरू हो जाएगा।"
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शिक्षा मंत्री ने कहा, "कृषि सहित सभी क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के बढ़ते महत्व को देखते हुए और राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने इन शाखाओं की शुरुआत की है।"
नई शिक्षा नीति 2020
बता दें, 20 अगस्त को अश्वथनारायण ने कहा था कि NEP-2020 के कार्यान्वयन से कन्नड़ सहित अन्य भारतीय भाषाओं को और मजबूती मिलेगी और छात्रों को एक ओपन ऐच्छिक के रूप में भी भाषा चुनने का अवसर प्रदान किया जाएगा। नई शिक्षा नीति से कन्नड़ या किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा को कोई खतरा नहीं होगा।
बता दें, कर्नाटक में डिग्री स्तर पर दो साल के लिए कन्नड़ सीखना अनिवार्य किया जाएगा। इसके साथ ही ओपन सेलेक्टिव के रूप में किसी भाषा को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति के अनुसार स्टूडेंट्स अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में पांचवीं क्लास तक और विशेषकर आठवीं क्लास तक सीख सकते हैं। इससे क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश स्कूल शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी या अंग्रेजी का उपयोग करते हैं।
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Published September 19th, 2021 at 14:54 IST
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