Advertisement

Updated November 20th, 2018 at 16:31 IST

पोस्टर को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी में घिरे ट्विटर के CEO जैक डोरसी, सोशल मीडिया पर जमकर हो रही आलोचना

ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी ने भारत दौरे की एक फोटो को लेकर वो कॉन्ट्रोवर्सी में घिर गए हैं. इस तस्वीर में उनके हाथ में एक पोस्टर है.जिसमें 'ब्राह्मणल पितृसत्ता के टुकड़े-टुकड़े हो' लिखा है.

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
Advertisement

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर विवादों में आ गया है. ये विवाद उस वक्त पैदा हो गया जब ट्विटर के CEO जैक डोरसी ने भारत दौरे पर आकर कुछ महिला पत्रकारों के साथ फोटो खिंचवाई थी. जैक डोरसे की भारत यात्रा के दौरान खींची गई इस तस्वीर में वो महिला पत्रकारों के साथ खड़े है और उनके हाथ में एक पोस्टर है. उन्होंने जिस पोस्टर को अपने हाथ में पकड़ा है उसमें कुछ ऐसा लिखा था जो कॉन्ट्रोवर्सी की वजह बन गया.

इस पोस्टर में 'ब्राह्मणल पितृसत्ता के टुकड़े-टुकड़े हो' (Smash Brahminical patriarchy) लिखा था. जिसके मामले ने तूल पकड़ लिया. देखते ही देखते आलोचना शुरू हो गई. इसे लेकर इस एक खास समूह के लोग भड़क गए और लोगों ने ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी पर एक जातीय समूह पर हमला करने का आरोप लगाया है.

बढ़ते विवाद के बीच सरकार के एक बड़े अधिकारी ने मामले की सुध ली है. भारत की संसद में संयुक्त सचिव संदीप मित्तल ने ट्वीट करके ये कहा है कि ये मामला आपराधिक मामले दर्ज कराने के लिए उपयुक्त है.

इस दौरान संदीप मित्तल ने कहा, 'क्या आपको एहसास है कि ये तस्वीर में सांप्रदायिक दंगों का कारण बन सकती है वो भी तब, जब देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. इसके बावजूद माफी भी मांगी नहीं है. वास्तव में ये देश को नष्ट करने के कोशिश को लेकर इसके लिए आपराधिक मामले दर्ज किए जा सकते हैं.'

अपने ट्वीट में संसद संयुक्त सचिव ने जैक डोरसे, ट्विटर इंडिया, ट्विटर की लीगल हेड विजया गड्डे और Anna MM Vetticad को भी टैग किया है. जिन्होंने शुरुआत में तस्वीर को ट्वीट किया था. 

हालांकि, ट्विटर ने कहा है कि उन्होंने महिला पत्रकार और बदलाव लाने वाले लोगों के साथ एक बातचीत का कार्यक्रम रखा था ताकि ट्विटर इस्तेमाल को लेकर उनकी समझ और अनुभव से वाकिफ हो सकें. इसी कार्यक्रम में एक दलित एक्टिविस्ट ने अपनी निजी अनुभव शेयर किए और ये पोस्टर सीईओ को भेंट किया. 

Smash Brahminical patriarchy पोस्टर के साथ खड़े होने के लिए ट्विटर सीईओ पर कई लोगों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. लोगों ने सवाल उठाया है कि हर तरह की पितृसत्ता खत्म होनी चाहिए, फिर सिर्फ ब्राह्मणों को लेकर ऐसा क्यों लिखा गया. ट्विटर ऐसी बात क्यों कर रहा है? क्या चर्च की पितृसत्ता खत्म नहीं होनी चाहिए? हालांकि, ट्विटर पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने कहा है कि इसे लिखने में क्या गलत है?

Advertisement

Published November 20th, 2018 at 16:05 IST

आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.

अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।

Advertisement

न्यूज़रूम से लेटेस्ट

1 दिन पहलेे
1 दिन पहलेे
2 दिन पहलेे
4 दिन पहलेे
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Whatsapp logo