शुगर के मरीज को कब पड़ती है इंसुलिन की जरूरत? ये है इस हार्मोन का पूरा गणित
पिछले कुछ सालों में भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ है।
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फिलहाल देश में डायबिटीज के 10 करोड़ से अधिक मरीज हैं और इनकी संख्या हर साल बढ़ ही रही है।
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आमतौर पर दो तरह के डायबिटीज मरीज होते हैं। पहले टाइप 1 और दूसरे टाइप 2।
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टाइप 2 के रोगियों का डायबिटीज पहले दवा से से ही कंट्रोल किया जाता है, लेकिन जब ब्लड शुगर पर दवा असर नहीं करती हैं। तब उन्हें इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं।
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वहीं डायबिटीज टाइप 1 के रोगियों को हमेशा ही इंसुलिन लेनी पड़ती है। अगर आप भी शुगर के मरीज है, तो आइए जानते हैं कि इंसुलिन की जरूरत कब पड़ती है।
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अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज का मरीज है और उसकी बॉडी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं कर पाती है, तो उसे इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है।
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इंसुलिन पैंक्रियास में बनने वाला वो हार्मोन हैं जो ब्लड में शुगर यानी ग्लूकेाज को मेंटेन करता है। जब यह किसी वजह से एक्टिवेट नहीं होता या कम बनता है तब इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।