Updated April 23rd, 2024 at 23:06 IST
Paris Olympics से पहले लवलीना को मेडल जीतने का विश्वास, कहा- विश्व चैम्पियन बनना शानदार
ओलंपिक भार वर्ग में विश्व चैम्पियन बनना शानदार था: लवलीना
- स्पोर्ट्स
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Paris Olympics: भारत की शीर्ष मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन अपने नैसर्गिक भार वर्ग में बदलाव और 75 किग्रा वर्ग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने को लेकर आश्वस्त हैं। असम की इस खिलाड़ी ने तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद चुनौतीपूर्ण समय का सामना किया क्योंकि वह विश्व चैम्पियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों से जल्दी बाहर हो गयी थी।
लवलीना पहले 69 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश करती थी लेकिन ओलंपिक से इस भार वर्ग को हटाने के बाद उन्होंने 75 किग्रा वर्ग में खेलना शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस भारतीय मुक्केबाज ने 2022 एशियाई चैंपियनशिप और 2023 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक के साथ-साथ पिछले साल एशियाई खेलों में रजत पदक जीता है।
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लवलीना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ वजन में बदलाव के बाद कुल मिलाकर मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा है। ओलंपिक वर्ग में विश्व चैम्पियनशिप जीतना बहुत बड़ी बात थी। मुझे पहले (69 किग्रा के लिए) वजन नियंत्रित करना पड़ता था लेकिन अब मैंने इस वजन से सामंजस्य बिठा लिया है। मैंने प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और अच्छा प्रदर्शन किया है।’’ लवलीना का वजन आमतौर पर 70 से 75 किग्रा के बीच रहता है ऐसे में उन्हें टूर्नामेंटों से पहले वजन घटाने के लिए अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती।
उन्होंने कहा, ‘‘हां, प्रतिद्वंद्वी (75 किग्रा में) मजबूत हैं लेकिन मैं इस वर्ग में फिट बैठती हूं। मैं 69 किग्रा की तुलना में इस श्रेणी में अधिक सहज हूं क्योंकि मुझे खाने पर ज्यादा नियंत्रण नहीं करना पड़ता है। ऐसे में मेरी ऊर्जा का स्तर ऊंचा रहता है। मैं मजबूत महसूस करती हूं और मैं बेहतर प्रशिक्षण लेने में सक्षम हूं। मैं ताकत और कंडीशनिंग के साथ अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने पर ध्यान देती हूं।’’ लंदन ओलंपिक खेलों (2012) में महिला मुक्केबाजी को शामिल किए जाने के बाद से 75 किग्रा वर्ग लगातार ओलंपिक खेलों का हिस्सा है। 26 साल की इस खिलाड़ी के लिए पेरिस के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण होगी क्योंकि उनका सामना ऐसे मुक्केबाजों से होगा जो पहले से ही इस वर्ग में खेलती रही है।
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लवलीना ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं कि 75 किग्रा वर्ग चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह हमेशा से एक ओलंपिक वर्ग रहा है। 69 किग्रा नया था लेकिन 75 किग्रा वर्षों से है। ऐसे में इसमें पहले से अनुभवी मुक्केबाज प्रतिस्पर्धा करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक चुनौती है। लेकिन मैं आश्वस्त हूं क्योंकि मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा है और मैं 75 किग्रा में सहज महसूस करती हूं।’
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published April 23rd, 2024 at 23:05 IST
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