मुख्तार का THE End!
यूपी के खूंखार माफिया और बाहुबली मुख्तार अंसारी का वही हाल हुआ. जैसा उसने लोगों के साथ किया था. सत्ता के संरक्षण में फला फूला मुख्तार एक वक्त खुद का अलग ही साम्राज्य चलाने लगा था. मुख्तार की अदालत में हर गुनाह का हिसाब गोली से हुआ.. वो जेल में हो या फिर बाहर उसके आतंक और खौफ में कोई कमी नहीं आई... लेकिन जब 2017 में सत्ता बदली. तो उसके एक-एक गुनाहों का हिसाब शुरू हुआ. हालांकि विपक्षी दल तुष्टिकरण की राजनीति के लिए उसे कवर फायर देते रहे..मुख्तार अंसारी ने जब कृष्णानंद राय की विधायक रहते हत्या करवाई तो इस हत्याकांड से पूरा पूर्वांचल दहल उठा... जानकारी के मुताबित कृष्णानंद राय को करीब 400 से ज्यादा गोलियां मारी गई. उनका हत्या में AK-47 और LMG जैसे हथियारों का इस्तेमाल हुआ. मुख्तार इतना शातिर था कि उसने कृष्णानंद राय की हत्या की पूरी साजिश रचने के बाद अपना बेल तुड़वाकर जेल चला गया. हालांकि इस हत्याकांड से पहले अगर तत्कालीन DSP शैलेंद्र सिंह की रिपोर्ट को उस समय की एसपी सरकार ने गंभीरता से लिया होता तो कृष्णानंद राय की जान बचाई जा सकती थी. मुख्तार अंसारी पिछले 19 सालों जेल में बंद था, लेकिन उसे सत्ता का संरक्षण इस तरह से प्राप्त था कि कोई भी उसके काम में दखलअंदाजी नहीं करता था.. वो जब चाहे जेल से बाहर घूमने फिरने या फिर शॉपिंग करने चला जाता था. यहां तक कि जेल में बैठे-बैठे वो पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग तक करा देता था... यानि सत्ता किसी की भी हो, लेकिन तूती मुख्तार अंसारी की ही बोलती थी. पूर्व डीजीपी बृजलाल सिंह भी उसके गुनाहों के कच्चे चिट्ठे खोल रहे हैं.
यूपी के खूंखार माफिया और बाहुबली मुख्तार अंसारी का वही हाल हुआ. जैसा उसने लोगों के साथ किया था. सत्ता के संरक्षण में फला फूला मुख्तार एक वक्त खुद का अलग ही साम्राज्य चलाने लगा था. मुख्तार की अदालत में हर गुनाह का हिसाब गोली से हुआ.. वो जेल में हो या फिर बाहर उसके आतंक और खौफ में कोई कमी नहीं आई... लेकिन जब 2017 में सत्ता बदली. तो उसके एक-एक गुनाहों का हिसाब शुरू हुआ. हालांकि विपक्षी दल तुष्टिकरण की राजनीति के लिए उसे कवर फायर देते रहे..मुख्तार अंसारी ने जब कृष्णानंद राय की विधायक रहते हत्या करवाई तो इस हत्याकांड से पूरा पूर्वांचल दहल उठा... जानकारी के मुताबित कृष्णानंद राय को करीब 400 से ज्यादा गोलियां मारी गई. उनका हत्या में AK-47 और LMG जैसे हथियारों का इस्तेमाल हुआ. मुख्तार इतना शातिर था कि उसने कृष्णानंद राय की हत्या की पूरी साजिश रचने के बाद अपना बेल तुड़वाकर जेल चला गया. हालांकि इस हत्याकांड से पहले अगर तत्कालीन DSP शैलेंद्र सिंह की रिपोर्ट को उस समय की एसपी सरकार ने गंभीरता से लिया होता तो कृष्णानंद राय की जान बचाई जा सकती थी. मुख्तार अंसारी पिछले 19 सालों जेल में बंद था, लेकिन उसे सत्ता का संरक्षण इस तरह से प्राप्त था कि कोई भी उसके काम में दखलअंदाजी नहीं करता था.. वो जब चाहे जेल से बाहर घूमने फिरने या फिर शॉपिंग करने चला जाता था. यहां तक कि जेल में बैठे-बैठे वो पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग तक करा देता था... यानि सत्ता किसी की भी हो, लेकिन तूती मुख्तार अंसारी की ही बोलती थी. पूर्व डीजीपी बृजलाल सिंह भी उसके गुनाहों के कच्चे चिट्ठे खोल रहे हैं.
Published March 29th, 2024 at 20:42 IST
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