Advertisement

Updated April 17th, 2024 at 17:58 IST

UPSC: कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता... एक हाथ से लाचार फिर भी IAS परीक्षा में लहराया परचम

उत्तरी केरल के कोझिकोड जिले की रहने वाली महिला सारिका ए. के. ने गंभीर बीमारी सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्ति होने के बावजूद सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की।

Reported by: Digital Desk
Sarika A.k.
सारिका ए. के. | Image:Sarika A.k.
Advertisement

Civil Services Exam Result: उत्तरी केरल के कोझिकोड जिले की रहने वाली महिला सारिका ए. के. ने गंभीर बीमारी सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्ति होने के बावजूद सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की। सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) एक जन्मजात बीमारी है, जो किसी व्यक्ति की चलने-फिरने, संतुलन बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करती है।

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा मंगलवार को जारी किये गये परिणामों के अनुसार, सारिका ने अपने दूसरे प्रयास में सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए 922 रैंक हासिल की। वह अपने दाहिने हाथ का उपयोग नहीं कर पाती हैं और मोटर चालित व्हील-चेयर को नियंत्रित करने के लिए अपने बाएं हाथ का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआत में वह नतीजे से हैरान थीं।

Advertisement

उम्मीद थी कि मैं परीक्षा उत्तीर्ण कर लूंगी- सारिका

सारिका ने कहा, ''मुझे यह उम्मीद थी कि मैं परीक्षा उत्तीर्ण कर लूंगी। मुझे खुशी है कि मैंने यह कर दिखाया। मेरे पास अपनी खुशी जाहिर करने के लिए शब्द नहीं हैं।"

Advertisement

सारिका ने बताया कि उन्होंने स्नातक होने के बाद सिविल सेवा की परीक्षा देने का फैसला किया था। अपने परिवार, दोस्तों और शिक्षकों के समर्थन की बदौलत वह इसमें सफल भी हो गईं।

उन्होंने एक टीवी चैनल को बताया, ''मेरे माता-पिता मेरे सबसे बड़े समर्थक हैं।''

Advertisement

'किसी चीज को दिल से चाहते हैं तो पूरी कायनात...'

यह पूछे जाने पर कि दिव्यांग व्यक्तियों को आप क्या संदेश देना चाहेंगी, इसके जवाब में सारिका ने पाउलो कोएल्हो की पुस्तक "अलकेमिस्ट" की एक प्रसिद्ध पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा, ''जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे हासिल करने में आपकी मदद करने में जुट जाती है।''

Advertisement

उन्होंने अमेरिका की एक महिला जेसिका कॉक्स का भी जिक्र किया जो हाथ नहीं होने के बावजूद एक लाइसेंस प्राप्त पायलट बन गई थीं। सारिका ने यह भी बताया कि सिविल सेवा के विभिन्न चरणों को उन्होंने कैसे पास किया और हर बार उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, ''सिविल सेवा परीक्षा के सभी चरण कठिन हैं।''

सारिका ने बताया कि प्रारंभिक परीक्षा केंद्र कोझिकोड में था और ये दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अनुकूल था।

Advertisement

उन्होंने बताया कि सिविल सेवा के आखिरी चरण की परीक्षा तिरुवनंतपुरम में आयोजित की गई थी और चूंकि यह एक सप्ताह तक चलनी थी इसलिए वह और उनके माता-पिता वहां किराये पर रहे। सारिका ऑटो-रिक्शा से परीक्षा केंद्र तक जाती थीं।

कतर में काम करते हैं सारिका के पिता

Advertisement

सारिका ने बताया कि उनके पिता कतर में काम करते हैं, लेकिन वह इसके लिए वापस आ गये थे। सिविल सेवा की अंतिम परीक्षा लिखित थी, इसलिए सारिका को एक लेखक की मदद लेनी पड़ी। मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद साक्षात्कार दिल्ली में होना था और इस दौरान वह वहां केरल हाउस में रहीं।

इसे भी पढ़ें : Lok Sabha Election: पहले चरण के लिए थमा चुनाव प्रचार का शोर, 19 अप्रैल को 102 सीटों पर होगी वोटिंग

Advertisement

 

 

Advertisement

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published April 17th, 2024 at 17:12 IST

आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.

अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।

Advertisement

न्यूज़रूम से लेटेस्ट

1 दिन पहलेे
1 दिन पहलेे
2 दिन पहलेे
2 दिन पहलेे
4 दिन पहलेे
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Whatsapp logo