Updated March 8th, 2019 at 12:21 IST
जानें, BCCI की कायाकल्प में अहम भूमिका निभाने वाले जस्टिस कलीफुल्ला, जो करेंगे अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता
वैसे तो साल 2012 में बतौर सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त होने वाले जस्टिस खलीफुल्लाह का कार्यकाल अच्छा रहा लेकिन उन्होंने असली पहचान जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के दौरान मिली
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उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल को सौंप दिया। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल के मुखिया होंगे। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि मध्यस्थता के लिए बनाए गए पैनल की अध्यक्षता करने वाले
वैसे तो साल 2012 में बतौर सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त होने वाले जस्टिस कलीफुल्ला का कार्यकाल अच्छा रहा लेकिन उन्होंने असली पहचान जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के दौरान मिली।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (BCCI) को पारदर्शी बनाने के लिए के लिए जस्टिस लोढ़ा के साथ मिलकर काम किया था । 23 जुलाई 1951 को जन्मे कलीफुल्ला का जन्म तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी में हुआ था और उनका पूरा नाम फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है ।
उनकी वकालत की शुरूआत करीब 1975 को हुई । वो श्रम कानून से संबंधित मामलों में सक्रिय वकील थे । बताया जाता है कि वो कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों का कोर्ट में पक्ष रखा है । जिसके बाद वो तमिलनाडु राज्य विद्युत बोर्ड के लिए बतौर स्थायी वकील काम भी किया ।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 याचिकाएं दायर हुई हैं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2 ।77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जांए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की महत्वपूर्ण बातें
- न्यायालय ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से मीडिया पर रोक लगाई।
- न्यायालय ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कार्यवाही बंद कमरे में करने का निर्देश दिया।
- न्यायालय ने मध्यस्थता पैनल को चार सप्ताह के भीतर अयोध्या मामले पर अपनी प्रगति रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
- न्यायालय ने मध्यस्थता की कार्यवाही आठ सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया।
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘‘अत्यंत गोपनीयता’’ बरती जाए।
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आयोध्या मामले में मध्यस्थता कार्यवाही फैजाबाद में होगी और यह प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी।
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मध्यस्थता पैनल और सदस्यों को शामिल कर सकता है और इस संबंध में किसी भी तरह की परेशानी पर वह शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को जानकारी दे सकता है।
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Published March 8th, 2019 at 12:21 IST