Updated March 13th, 2020 at 16:09 IST
पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को 10 साल की सजा
सीबीआई जज ने कहा कि पीड़िता के सर से पिता का साया उठ गया, पीड़िता का घर खत्म हो गया परिवार में चार नाबालिग बच्चे हैं, उन्हें उनके पैतृक स्थान से भी बेदखल कर दिया गया है।
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उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर समेत सभी सात दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई है।
अपने फैसले में सीबीआई के जज धर्मेश शर्मा ने कहा कि कुलदीप सेंगर , माखी पुलिस थाने के तत्कालीन एस एच ओ अशोक सिंह भदौरिया, सब- इंस्पेक्टर कामता प्रसाद पब्लिक सर्वेंट थे और कानून के पालन की जिम्मेदारी इनपर थी लेकिन इनलोगों ने उसका पालन नहीं किया।
कोर्ट ने कुलदीप सेंगर और उसके भाई अतुल सिंह पर 10-10 लाख रुपये जुर्माना भी लगया। जुर्माने का पैसा पीड़ित परिवार को दिया जाएगा।
फैसले से पहले पीड़ित परिवार के वकील धर्मेंद्र मिश्रा ने कोर्ट से कहा कि सेंगर को अधिकतम सज़ा मुक़र्रर होनी चाहिए। दोषी ने पीड़ित को इस कदर परेशान किया गया कि उसके जीवन का कोई मतलब ही नहीं रह गया है।
फैसला सुनाते हुए सीबीआई जज ने कहा कि पीड़िता के सर से पिता का साया उठ गया, पीड़िता का घर खत्म हो गया परिवार में चार नाबालिग बच्चे हैं, उन्हें उनके पैतृक स्थान से भी बेदखल कर दिया गया है।
कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के मामले में अधिकतम 10 साल की सजा सुनाईं। गुरुवार को सजा पर बहस के दौरान सीबीआई ने भी दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत सात लोगों को अधिकतम सजा दिए जाने की मांग की थी।
गुरूवार को सजा पर बहस के दौरान कुलदीप सेंगर ने जज के सामने रहम की भीख मांगने लगा। सेंगर ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि मुझे इस घटना की जानकारी तक नहीं थी। अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दें या फांसी पर लटका दें।
चार मार्च को अदालत ने पूर्व विधायक कुलदीप सिंह, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, एसएचओ अशोक सिंह भदौरिया, विनीत मिश्रा उर्फ विनय मिश्रा, वीरेंद्र सिंह उर्फ बउवा सिंह, शशि प्रताप सिंह उर्फ सुमन सिंह व जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह को दोषी करार दिया था।
कोर्ट ने सेंगर समेत सातों आरोपियों को धारा 120 बी और गैर इरादतन हत्या के तहत दोषी माना था।
इस मामले में सीबीआई ने कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन कोर्ट ने सिपाही अमीर खान, शरदवीर सिंह, राम शरण सिंह उर्फ सोनू सिंह, शैलेंद्र सिंह उर्फ टिंकू सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया ।
9 अप्रैल 2018 को उन्नाव में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत हुई थी।
इससे पहले 20 दिसंबर 2019 को कुलदीप सेंगर और उसके साथियों के खिलाफ 2017 में पीड़िता से को अगवाकर सामूहिक दुष्कर्म के मामले में इसी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाते हुए मौत तक जेल में कैद रखने का फैसला सुनाया था। साथ ही कोर्ट ने सेंगर पर 25 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया था।2017 में पीड़िता नाबालिग थी, लिहाजा ये सजा पॉक्सो एक्ट के तहत दी गई थी।
इन सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था।इस फैसले के बाद ही कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द की जा चुकी है।
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Published March 13th, 2020 at 16:09 IST