Updated November 13th, 2018 at 14:27 IST

Dassault के सीईओ के इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें, जानें रिलायंस-राफेल से लेकर राहुल के आरोपों पर क्या कहा?

दसॉ के CEO एरिक ट्रैपियर की 10 बड़ी बातें

Reported by: Neeraj Chouhan
Credit | Image:self
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राफेल लड़ाकू विमान को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर भारतीय मीडिया से रूबारू हुए और उन्होंने डील से जुड़े तमाम पहलू पर खुलकर अपना पक्ष रखा.
 
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आरोपों पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा कि मैं झूठ नहीं बोलता. जो भी बयान मैंने पहले दिया है वो सच है.  मेरी झूठ बोलने की प्रतिष्ठा नहीं है. बतौर सीईओ के रूप में आप झूठ नहीं बोलते. 

दसॉ के CEO एरिक ट्रैपियर की 10 बड़ी बातें

  • रिलायंस को साझेदार बनाने पर सफाई देते हुए एरिक ट्रैपियर कहा कि हम अंबानी को अपने आप चुना है.  रिलायंस के अलावा हमारे पास पहले से 30 साझेदार हैं. भारतीय वायु सेना इस सौदे का समर्थन कर रहा है क्योंकि उन्हें अपने बचाव के लिए लड़ाकू विमानों की जरूरत है. 
  • राफेल सौदे की कीमत पर एरिक ट्रैपियर ने कहा कि 36 विमानों की कीमत उतनी है जितनी 18 विमानों की तय की गई थी. 36, 18 का दोगुना है. जहां तक मेरा संबंध था, यह कीमत दोगुनी होनी चाहिए थी. लेकिन क्योंकि यह सरकार के लिए सरकार डील थी, तो वहां मोल भाव हुआ था, मुझे तकरीबन सौदे की कीमत को  9%  कम करना पड़ा. 
  • एरिक ट्रैपियर ने आगे कहा कि हम रिलायंस में पैसा नहीं लगा रहे हैं. पैसा जेवी (डेसॉल्ट-रिलायंस) में जा रहा है. जहां तक सौदे के औद्योगिक हिस्से का सवाल है, दसॉ के इंजीनियर और कामगार ही आगे रहते हैं.
  • भारत के साथ पुराने संबंध होने का हवाला देते हुए एरिक ट्रैपियर ने कहा कि कांग्रेस के साथ लंबा अनुभव है. साल 1953 में भारत के साथ हमारा पहला सौदा नेहरू काल के दौरान हुआ था, बाद में अन्य पीएम के साथ. हम किसी भी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं, हम भारतीय वायु सेना और भारतीय सरकार को रणनीतिक उत्पादों की आपूर्ति कर रहे हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण है. 
  • जब हमने पिछले साल संयुक्त उपक्रम (JV) बनाया था, तो  JV (दसॉ-रिलायंस)  बनाने का फैसला साल 2012 में हुए समझौते का हिस्सा था. लेकिन हमने डील साइन होने का इंतजार किया. 
  • हमें इस कंपनी में लगभग 800 सीआर 50:50 के रूप में निवेश करने थे. JV में शेयर डेसॉल्ट के लिए 49% और रिलायंस के लिए 51% हैं .
  • फिलहाल हैंगर में काम शुरू करने और श्रमिकों और कर्मचारियों का भुगतान करने के लिए, हमने पहले ही 40 करोड़ निवेश किया है. लेकिन इसे 800 करोड़ तक बढ़ा दिया जाएगा, मतलब आने वाले पांच सालों में दासॉल्ट द्वारा 400 करोड़ का निवेश किया जाएगा. 
  • हमारे पास ऑफसेट पूरा करने के लिए 7 साल हैं. पहले के तीन सालों में हम यह बताने के लिए बाध्य नहीं है कि हम किसके साथ काम कर रहे हैं. 
  • 30 कंपनियों के साथ डील की जा चुकी है. जो सौदे के मुताबिक समूचे ऑफसेट का 40 फीसदी होगा और इस 40 फीसदी में से 10 फीसदी रिलायंस का है. 
  • अनुबंध के अनुसार भारतीय वायुसेना को पहली डिलीवरी अगले साल सितंबर में  की जानी है और काम बिल्कुल समय पर चल रहा है. 

 

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Published November 13th, 2018 at 12:54 IST

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