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Updated April 27th, 2024 at 12:51 IST

'अरविंद केजरीवाल जी आपको देशहित से ज्यादा सत्ता की चिंता, दे दें इस्तीफा', BJP

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल की मंशा को कटघरे में खड़ा करते हुए गंभीर सवाल खड़े किए। टिप्पणी को आधार बना सीधे सीधे वार किया।

Reported by: Kiran Rai
Arvind Kejriwal, Manjinder Singh Sirsa
बीजेपी का केजरीवाल का हमला | Image:PTI
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Arvind Kejriwal: दिल्ली हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद बीजेपी ने आम आदमी पार्टी संयोजक और सीएम अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की डिमांड कर डाली। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक वीडियो संदेश जारी कर केजरीवाल की मंशा पर सवाल खड़े किए। आरोप लगाया कि वो सत्ता के लिए दिल्ली के लोगों से खिलवाड़ कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी 3000 से ज्यादा फाइलों के लंबित होने का मुद्दा उठाया था। दावा किया था कि अहम कामों से जुड़ी 420 फाइलें सीएम के स्तर पर लंबित पड़ी हैं।

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सिरसा का तंज, बोले- आपमें जरा भी लज्जा है तो...

सिरसा ने अपने सोशल मीडिया के जरिए केजरीवाल पर कई आरोप लगाए। उन्होंने दिल्ली की जनता मासूम बच्चों, स्कूलों, पीने के पानी जैसे तमाम उन मु्द्दों को उठाया जिनके बल पर आप वोट अपील करती है। उन्होंने कहा-अरविंद केजरीवाल सत्‍ता के लोभी हैं। अपने लिए सत्‍ता का इस्‍तेमाल कर रहे हैं और देशहित से ऊपर अपना निजी हित मानते हैं... यह मैं नहीं कर रहा, ये माननीय उच्‍च न्‍यायालय के डबल बेंच की प्रतिक्रिया है। दिल्‍ली हाई कोर्ट ने बताया कि दिल्‍ली का शिक्षा मॉडल इतना फेल हो रहा है कि सरकारी स्‍कूल के 2 लाख बच्‍चों के पास बुनियादी सुविधाएं, पाठ्य पुस्‍तकें भी नहीं हैं। पीने का पानी भी नहीं है। कोर्ट ने यहां तक कहा कि टिनशेड के नीचे बच्‍चे पढ़ने को मजबूर हैं। इस बीच अरविंद केजरीवाल हैं, जो जेल में रहकर भी मुख्‍यमंत्री बने रहना चाहते हैं और सत्‍ता का लोभ भोगना चाहते हैं। अरविंद केजरीवाल जी अगर आपमें जरा-सी भी लज्‍जा है, तो दिल्‍ली हाई कोर्ट की टिप्‍पणी के बाद तुरंत इस्‍तीफा दे देना चाहिए।"

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वीरेंद्र सचदेवा बोले- फाइलें लंबित

बाकी व्यवस्थाएं देखें तो कोई सरकारी कर्मचारी कहीं पकड़ा जाता है तो 48 घंटों के भीतर पद से इस्तीफा ले लिया जाता है, लेकिन आप तो सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री हैं अरविंद केजरीवाल ...आपको शर्म आनी चाहिए थी...आपको इस्तीफा दे देना चाहिए था...लेकिन कुर्सी का मोह उस बड़े बंगले का मोह जो जनता के पैसे से लूट कर बनाया था  नहीं छोड़ रहे हैं... कल तो माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि सत्ता के मद में अंधे हो रहे हैं और लालच दिल्ली में सियासी संकट पैदा कर रहा है।

इससे पहले सचदेवा ने कहा था कि केजरीवाल सरकार प्रशासन और शासन के लिए नहीं बल्कि प्रचार और भ्रष्टाचार के लिए है और यह बात इसके विभिन्न विभागों में लंबित पड़ी 3,060 फाइल से स्पष्ट है। इसके अलावा महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़ी 420 फाइल ऐसी हैं जो मुख्यमंत्री के स्तर पर लंबित हैं। लंबित फाइल से पता चलता है कि इस सरकार को काम की चिंता कम, प्रचार-प्रसार और भ्रष्टाचार में ज्यादा रुचि है। फिर भी वे दिल्ली की सेवा करने का दावा करते हैं।'

दिल्‍ली हाईकोर्ट की टिप्पणी क्या?

दिल्‍ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा की पीठ ने 26 अप्रैल को एक टिप्पणी की। कहा-, "हमें यह कहते हुए बेहद दुख हो रहा है कि आपने अपने (केजरीवाल) हित को छात्रों और पढ़ने वाले बच्चों के हित से ऊपर रखा... यह स्पष्ट है और हम मानते हैं कि आपने अपने सियासी लाभ को सबसे ऊपर रखा है... यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने ऐसा किया।  गलत है और यही बात इस मामले में उजागर हुई है। अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि उनका मुवक्किल ‘केवल सत्ता के इस्तेमाल में रुचि रखता है।’ 

पीठ ने कहा, "हमें नहीं पता कि आप कितनी शक्ति चाहते हैं। समस्या यह है कि आप शक्तियां हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, यही वजह है कि आपको शक्ति नहीं मिल रही है।" अदालत ने तल्ख अंदाज में कहा- अगर वह (केजरीवाल) चाहते हैं कि प्रशासन 'पंगु' हो जाए तो उनका व्यक्तिगत विचार है...नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों को 'सभी को साथ लेकर चलना होगा' क्योंकि यह 'एक व्यक्ति के प्रभुत्व' का मामला नहीं हो सकता है।"

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Published April 27th, 2024 at 12:43 IST

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