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Updated March 22nd, 2019 at 10:22 IST

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस: कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने वाले नेताओं को अरुण जेटली ने लगाई तलाड़

एक तरफ जहां कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों को कोर्ट फैसला पच नहीं रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अब बीजेपी इस मसले पर हमलावर हो गई है।

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद सियासी खेमे में उबाल उठने का सिलसिला तेज हो गया है। राजनीतिक गलियारे में फैसले को लेकर एक के बाद एक सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री ने विपक्ष को जमकर खरी खोटी सुनाई है।

एक तरफ जहां कांग्रेस समेत अन्य विरोधी दलों को कोर्ट फैसला पच नहीं रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अब बीजेपी इस मसले पर हमलावर हो गई है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने एक ब्लॉग लिखकर यूपीए पर सवाल उठाए हैं। 

जेटली ने हिंदू आतंक का शातिर सिद्धांत गढ़ने का आरोप लगाया है। और इसके पीछे वजह भी है। दरअसल, समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में अमेरिकी विदेश विभाग और संयुक्त राष्ट्र ने एक निश्चित जेहादी संगठन और व्यक्तियों को पानीपत में 2007 के विस्फोटों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि इसे तत्कालीन सरकार ने 'हिंदू षड्यंत्र' माना था। न्यायालय के फैसले ने न्यायिक रूप से तथाकथित ‘हिंदू आतंकवादी सिद्धांत’ के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। जो शायद अब कांग्रेस के नेताओं को हज्म नहीं हो रहा है।

गौरतलब है कि स्वामी असीमानंद समेत सभी आरोपियों को अदालत ने सबूतों के आभाव में बरी कर दिया। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती और ओवैसी और कपिल सिब्बल समेत कई नेताओं ने कोर्ट के फैसले पर ही सवाल उठा दिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में आरोपियों को बरी किए जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को तंज कसते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि 68 लोगों की हत्या किसने की।

सिब्बल ने ट्वीट कर कहा था, ‘‘2007 में समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट हुआ। 68 लोग मारे गए, एनआईए ने आठ लोगों को आरोपी बनाया। फैसला: कोई नहीं जानता कि 68 लोगों को किसने मारा। हमें अपनी फौजदारी न्याय व्यवस्था पर गर्व करना होगा।’’

इससे पहले महबूबा ने ट्वीट कर लिखा था, 'अहम सबूत होने के बावजूद आरएसएस के एक पूर्व सदस्य समेत आरोपियों को बरी कर दिया गया। भगवान न करे, अगर वह कश्मीरी या मुस्लिम होते तो उन्हें दोषी ठहरा दिया जाता और निष्पक्ष सुनवाई के बिना ही जेल में डाल दिया जाता। भगवा आतंक को लेकर ऐसी नर्मी और दोहरे मापदंड क्यों?'

जबकि महबूबा के अलावा AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर हमला बोलने में देर नहीं लगाई। और इस फैसले को कटघरे में खड़ा कर दिया।

बता दें, 18 फरवरी 2007 को पंचकुला में समझौता एक्सप्रेस में धमाका हुआ था कि जिसमें 68 लोगों की मौत हो गई थी। जिसमें ज्यादातर पाकिस्तानी लोग सफर कर रहे थे। NIA ने इस मामले की जांच शुरू की असीमानंद सहित 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। लंबी जांच और सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी को रिहा कर दिया।

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Published March 22nd, 2019 at 10:14 IST

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