Updated October 12th, 2022 at 18:57 IST
Shiv Sena : 'धनुष और तीर' के बाद 'जलती हुई मशाल' को लेकर तकरार, समता पार्टी ने ठोका दावा
धनुष और तीर का चुनाव चिह्न छिनने के बाद उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट को समता पार्टी से जलती हुई मशाल के चुनाव चिह्न को लेकर एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
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उद्धव ठाकरे के लिए सियासी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, 'धनुष और तीर' (Bow & Arrow) का चुनाव चिह्न छिन जाने के बाद उद्धव ठाकरे को समता पार्टी से 'जलती हुई मशाल' (Flaming Torch) के चुनाव चिह्न को लेकर एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 1994 में दिवंगत जॉर्ज फर्नांडीस और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने समता पार्टी (Samata Party) को बनाया था। इस पार्टी ने बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मणिपुर में सीटें जीतीं। बाद में इसके अधिकांश सदस्य जदयू (JDU) में शामिल हो गए, इसके बाद 2004 में समता पार्टी की एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता रद्द कर दी गई लेकिन ‘जलती हुई मशाल’ समता पार्टी के का चुनाव चिन्ह था। हाल ही में चुनाव आयोग ने इसे एक स्वतंत्र प्रतीक के रूप में घोषित कर 10 अक्टूबर को ठाकरे गुट को आवंटित कर दिया।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय मंडल ने कहा,
"चुनाव आयोग का शिवसेना को 'मशाल' चिन्ह आवंटित किए जाने पर हमें कड़ी आपत्ति है। हम चुनाव आयोग से संपर्क करेंगे कि 'मशाल' चिन्ह समता पार्टी की पहचान है। चुनाव आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि 'मशाल' चिन्ह समता पार्टी के लिए आरक्षित था। एक समय हमारी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी हुआ करती थी। जैसा कि चुनाव आयोग ने कहा है कि हमारी पार्टी की मान्यता समाप्त कर दी गई है। भले ही समता पार्टी की मान्यता रद्द कर दी गई हो लेकिन हमने चुनाव लड़ना बंद नहीं किया है।"
उन्होंने आगे कहा कि "भविष्य में हमारी पार्टी को मान्यता दी जा सकती है। इसलिए जब यह चिन्ह हमारे लिए आरक्षित है, तो आप इसे किसी अन्य पार्टी को कैसे दे सकते हैं? हमें इस पर कड़ी आपत्ति है। हम चुनाव आयोग से अनुरोध करेंगे कि इस चुनाव चिन्ह को हमें आवंटित करें या इसे हमारे लिए सुरक्षित रखें। अगर जरुरत पड़ी तो हम कोर्ट भी जाएंगे, हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा।शिवसेना के साथ हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है।’’
चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर रोक लगाई
19 जुलाई को महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग में एक याचिका दायर की कि उनके नेतृत्व वाले समूह को शिवसेना घोषित किया जाए और उसे 'धनुष और तीर' का चिन्ह भी आवंटित किया जाए। उन्होंने अपनी ताकत दिखाने के लिए 19 में से 12 सांसदों, 55 में से 40 विधायकों, 11 राज्य प्रमुखों, 144 पदाधिकारियों और 1,51,483 प्राथमिक सदस्यों के हलफनामे प्रस्तुत किए। 3 नवंबर को अंधेरी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव के मद्देनजर याचिका को जल्द निपटाने का आग्रह किया हालांकि उद्धव ठाकरे गुट ने शिंदे गुट पर उपचुनाव की आड़ में कार्यवाही में जल्दबाजी करने का आरोप लगाया।
दोनों गुटों को मिला नया नाम, नया निशान
चुनाव आयोग ने 8 अक्टूबर को शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर रोक लगाने का फैसला किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपचुनाव में भ्रम की स्थिति को खत्म किया जाए। इसके बाद चुनाव आयोग ने नए नाम आवंटित करते हुए उद्धव गुट को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (Shiv Sena Uddhav Balasaheb Thackeray) और शिंदे गुट को बालासाहेबंची शिवसेना (Balasahebanchi Shiv Sena) नाम दिया। जहां ठाकरे गुट का नया चुनाव चिन्ह 'जलता हुआ मशाल' (flaming torch) है वहीं शिंदे गुट को 'दो तलवारें और एक ढाल' का चुनाव चिन्ह मिला है।
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Published October 12th, 2022 at 18:55 IST
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