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Updated January 10th, 2019 at 15:26 IST

राम मंदिर पर सुनवाई टलने पर RSS नाराज, 'ये देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है'

अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए टल गई है. इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने नाराजगी जताई है. 

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले की सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए टल गई है. इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने नाराजगी जताई है. 

इस मसले पर सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य रहे न्यायमूर्ति यू यू ललित ने गुरुवार को खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया. जिस वजह से सुनवाई के लिए अगली बेंच का गठन किया जाएगा और मामले की सुनवाई के लिए 29 जनवरी की तारीख तय की गई है.

इस मसले को लेकर RSS नेता इंद्रेश कुमार और VHP अध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने विचार सामने रखे.


इंद्रेश कुमार ने कहा, ''जज साहेब ने जो मोरैलिटी शो की उदय यू ललित ने, उसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं. मुझे ये लगता है कि ऐसी मोरैलिटी पूरा बेंच दिखाए ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि तारीख फिर से आगे बढ़ गई.''

रिपब्लिक टीवी ने RSS नेता से ये पूछा कि आने वाली डेट पर क्या डे-टू-डे सुनवाई हो सकती है चुनाव से पहले क्यो फैसला आ सकता है?

इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सब अनिश्चित है, मुझे ये लगता है कि अभी तक जो एक बात आ रही है कि ये विषय बहुत संवेदनशील और आवश्यक नहीं है अगर यही मानसिकता रही तो मुझे ये लगता है कि जस्टिस में देरी होती रहेगी. जो देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

इसके साथ ही इंद्रेश कुमार ने ये भी कहा, ''आगे डेट पड़ना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. अच्छा ये है कि जितना जल्दी से जल्दी और न्याय दिया जाए पूरा देश जाति से, दल से, धर्म से उपर उठकर न्याय चाह रहा है. प्रधानमंत्री ने स्वयं भी कहा है कि कोई रोड़े ना टिकाए तो दलों को नहीं है. एक वाक्य में मेरा ये कहना है, जस्टिस को डिले करना ये डिनायल जैसा होता है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. कोई ऐसे हार्ड एंड फास्ट नहीं है कि ये डेट जल्द कर के भी सुनवाई हो सकती है. लेकिन पूरा देश चाहता है और इस लिए देश की भावना यही है कि न्याय जल्द से जल्द हो. उसको टालना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.''

वहीं विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख आलोक कुमार ने सुनवाई टलने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें आशंका थी कि विपक्ष कुछ भी बहाना बनाकर के आज की सुनवाई को टालने की कोशिश करेगा. आज उन्होंने जो दो आपत्तियां उठाई उनका आधार नहीं था. 

आलोक कुमार का कहना है, ''उन्होंने कहा कि पांच जज की बेंच बनाने के लिए जूडिशियल आर्डर होना चाहिए, इसका कोई अर्थ नहीं है. किस मुकदमे की सुनवाई के लिए बेंच स्ट्रेंथ क्या होगी और उसके जज कौन होंगे ये चीफ जस्टिस को तय करना है. वो मास्टर ऑफ रोस्टर है.  इसके लिए जूडिशियल आर्डर की जरूरत नहीं.''

''जस्टिस यू यू ललित राम जन्म भूमि के मुकदमे में उनकी अपील में कभी वकील नहीं रहे. कल्याण सिंह जी पर एक कंटेम्प्ट चला था उसमें वो वकील रहे थे. उनका इन अपीलों से कोई संबंध नहीं था. ये आपत्ति दुखदायक है. जस्टिस ललित को इस बेंच से हटाया नहीं गया है. उन्होंने स्वयं कहा है कि अगर आपत्ति है तो मैं हट जाता हूं. मैं एक बात और भी कहना चाहता हूं. इस आपत्ति में देखा है कि इस बेंच में कोई मुसलमान जज नहीं है. कौन से मुकदमे को कौन तय करेगा, कौन सुनेगा इसका निर्धारण धर्म के आधार पर होने लगेगा.''

इसे भी पढ़ें - अयोध्या मामले में जस्टिस यूयू ललित ने खुद को बेंच से अलग किया, अगली सुनवाई 29 जनवरी को

बता दें, अदालत के बैठते ही मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए 1994 में अदालत में पेश हुए थे.

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Published January 10th, 2019 at 15:18 IST

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