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Updated March 12th, 2020 at 16:36 IST

क्या बचाये कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश हरियाणा या फिर अपना वजूद

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस आलाकामन से राज्यसभा की सीट अपने या अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को दिए जाने की मांग कर दी है।

Reported by: Rajneesh Sharma
| Image:self
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस क्या छोड़ी, कांग्रेस के लिए चौतरफा मुश्किले खड़ी होती जा रही है। जहां एक और मुम्बई में खिचड़ी सरकार में सहयोगी कांग्रेस पर उसी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी सामना के अपने संपादकीय में हमला बोलकर सवालिया निशान लगा दिया। शिवसेना ने एक ओर जहां सिंधिया के बीजेपी में जाने को कांग्रेस के लिए बड़ी हार बताया है। जिस तरह से लगतार शिवसेना समाना के संपादकीय में कांग्रेस पर हमला बोलने का कोई मौका नही छोड़ती उससे तो यहीं लगता है कि मुंबई की खिचड़ी सरकार ज़्यादा दिन नही चलने वाली। 


वहीं राजस्थान और हरियाणा का हाल भी कुछ ऐसा ही है। सूत्रों की माने तो राजस्थान में भी लंबे वक्त से सचिन पायलट और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच शीत युद्ध चल रहा है। कई बार खुले तौर पर भी देखा गया ही कि, किस तरह सचिन पायलट अशोक गहलोत के लिए गए फैंसलो का समर्थन नही करते। वहीं दूसरी ओर भले ही कांग्रेस दावा कर रही है कि वो विधनसभा के पटल पर बहुमत साबित कर मध्यप्रदेश की सरकार को गिरने से बचा लेगी, तो वहीं दूसरी ओर उसके इस कदम से उनकी बौखलाहट और डर भी साफ दिखाता है कि कैसे टूट के डर से कांग्रेस ने बुधवार को अपने विधायको को मध्यप्रदेश के बाहर भेज दिया। हालांकि अभी राजस्थान में खुले तौर पर कांग्रेस पार्टी का विरोध सामने नही आया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि जिस तरह अंदर खाने बातें हो रही है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नही बनाये जाने से उनके समर्थक लम्बे वक़्त से कांग्रेस आलाकामन से खासे नाराज चल रहे है। इससे इस बात की क्या गारंटी है कि सचिन पायलट ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह अशोक गहलोत सरकार से बगावत नही करेंगे। ऐसी आशंका इसीलिए भी जताई जा रही है क्योंकि पिछले 3 दिनों में जितनी बार कमलनाथ से कांग्रेस पार्टी आलाकामन ने बात की उतनी ही बार अशोक गहलोत और सचिन पायलट से भी की गई। 

वहीं दूसरी ओर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी बगावती सुर बुलंद कर कांग्रेस की सरदर्दी और बढ़ा दी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस आलाकामन से राज्यसभा की सीट अपने या अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को दिए जाने की मांग कर दी है। भूपेंद्र हुड्डा ने ये भी मांग की कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला को राज्यसभा भेजा गया तो वो उसे किसी भी हालत में कुबूल नही करेंगे। सूत्रों की माने तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के संपर्क में कांग्रेस के डेढ़ दर्जन से ज़्यादा विधायक है। 


वहीं बिहार में भी जदयू ने ये कहते हुए कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है कि कांग्रेस के कई विधायक जदयू के संपर्क में है इससे कांग्रेस चौतरफा घिरती नज़र आ रही है, कि वो कहां कहां ध्यान दे। क्या वो मध्यप्रदेश की सरकार बचाये या राजस्थान या फिर हरियाणा के या फिर बिहार में अपने विधायकों को बचाये कांग्रेस के सामने एक दो नहीं बल्कि कई चुनौतियां एक साथ सामने आकर खड़ी हो गई है। 


हालांकि सूत्रों का ये भी कहना है कि कांग्रेस की आज जो स्थिति हुई है वो उसके अपने ही कारण हुई है। कहना ये भी है कि अगर कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को दोनों प्रदेशों की ज़िम्मेदारी दे देती तो एक और जहां पार्टी के सीनियर नेता खफा हो जाते तो वहीं दूसरी और राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लग जाता। खैर वजह चाहे जो भी हो लेकिन आज तो कांग्रेस के सामने सिर्फ मध्यप्रदेश और राजस्थान में सरकार बचाने की चुनौती ही नही बल्कि, देश की राजनीति में अपना खुद का वजूद बचने की भी चुनौती है।
 

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Published March 12th, 2020 at 16:36 IST

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