Updated December 27th, 2018 at 17:04 IST
विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक को जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजने की मांग की
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेताओं ने विधेयक को जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजे जाने की मांग की है.
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कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, AIADMK, वाम दल समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने वाले विधेयक को संसद की प्रवर समिति (जॉइंट सेलेक्ट पैनल) को भेजे जाने की मांग करते हुए गुरुवार को दावा किया कि इसके प्रावधान असंवैधानिक हैं. और कानून के मसौदे पर गहन विचार विमर्श की जरूरत है.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक को जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजे जाने की मांग करते हुए कहा कि ये महत्वपूर्ण विधेयक है जिस पर गहन विचार विमर्श जरूरी है.
उन्होंने दावा किया कि इसमें संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है और ये एक धर्म के भीतर हस्तक्षेप का प्रयास है.
खड़गे ने कहा कि ऐसे में इसे संसद की जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजा जाए और एक महीने या 15 दिन का समय दिया जाए जिसमें विचार विमर्श करके रिपोर्ट पेश की जा सके.
AIADMK के पी वेणुगोपाल ने कहा कि ये विधेयक महत्वपूर्ण है और हमारा विचार है कि इसे जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजा जाए. उन्होंने कहा कि 15 दिन या एक महीने में जॉइंट सेलेक्ट पैनल विचार करे और फिर इसे लाया जाए.
AIMIM के असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि इस विधेयक को लाने से पहले विभिन्न पक्षकारों के साथ चर्चा नहीं की गई. ऐसे में इस पर व्यापक गहन विचार विमर्श के लिS जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजा जाए.
इस मांग का NCP की सुप्रिया सुले, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान, सपा के धर्मेंद्र यादव, RJD के जयप्रकाश नारायण यादव, वामदलों के सदस्यों ने समर्थन किया.
इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये महत्वपूर्ण विधेयक है. इस पर पहले चर्चा हो चुकी है. ये विधेयक महिलाओं के न्याय और हितों से जुड़ा है और ऐसे में राजनीतिक कारणों से इसे रोका नहीं जाए. इस पर चर्चा हो और उसके बाद राय बनायी जाए.
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने इससे संबंधित अध्यादेश का निरानुमोदन करने वाला प्रस्ताव पेश किया और कहा कि इसमें संविधान के बुनियादी सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया है. ये राजनीतिक फायदा हासिल करने के मकसद से लाया गया है.
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उन्होंने कहा कि ये विधेयक जल्दबाजी में लाया गया है और 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लाया गया है. ये विधेयक ठीक ढंग से तैयार नहीं किया गया है. ये आपराधिक न्याय शास्त्र के खिलाफ है. इस विधेयक को जॉइंट सेलेक्ट पैनल को भेजा जाना चाहिए.
वहीं ए अनवर रजा, AIADMK सांसद ने कहा कि इस बिल की कोई जरूरत नहीं. ये केवल महिलाओं के लिए मुसीबत है. वे सड़क पर भीख मांगने के लिए मजबूर होंगी जब उनके पति जेल में होंगे. मुस्लिम पुरुषों और समुदाय को परेशान करने के लिए ये एक बर्बर बिल है. विधेयक अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. या तो इस बिल को टाल दें या इसे सेलेक्ट कमेटी के हवाले कर दें.
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Published December 27th, 2018 at 16:20 IST
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