Updated February 14th, 2019 at 16:06 IST
Sensational | 1984 दंगे के दोषी ने जगदीश टाइटलर का नाम लेकर कहा- 'बड़ी मछली को पकड़ने की जरूरत है'
इसी बीच रिपब्लिक भारत ने 1984 में हुए भयवाह नरसंहार को लेकर एक बड़ा स्टिंग ऑपरेशान किया है, जिसके बाद से ही राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है.
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तकरीबन 35 साल पहले भारत के इतिहास की सबसे भायनक घटना घटी थी. दरअसल साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद दिल्ली समेत देश भर में हुए सिख विरोधी दंगे शायद की किसी के जहन से धुंधले हुए होंगे. इन दंगों में लगभग 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और इस दंगे के लिए सीधा- सीधा कांग्रेस पार्टी के नेताओं की संदग्धि गतिविधियों को लेकर सवाल खड़े हुए थे. हालांकि इस नरसंहार के 35 साल बाद गुजर जाने के बाद भी पीड़ितों को अभी पूर्ण न्याय नहीं मिला.
इसी बीच रिपब्लिक भारत ने 1984 में हुए भयवाह नरसंहार को लेकर एक बड़ा स्टिंग ऑपरेशान किया है, जिसके बाद से ही राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है. इस स्टिंग में 1984 के दोषी वेद प्रकाश ने स्वीकार किया है कि कांग्रेसी जगदीश टाइटलर इस केस में एक 'बड़ी मछली' थे, जो 34 सालों से कानून के शिकंजे से बचते आ रहे थे.
जब वेद प्रकाश पैरोल पर बाहर आया, तो रिपब्लिक भारत ने उससे संपर्क साधा.
प्रकाश ने कहा, “बड़ी मछली को पकड़ने की जरूरत है। गरीबों को पकड़ा गया है। 34 साल हो गए। जैसा आपने कहा, जगदीश टाइटलर के खिलाफ 34 साल से एक मामला चल रहा है। वह जेल भी जाएगा। ”
स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने वाले रिपब्लिक के वरिष्ठ संवाददाता अनुज द्वारा सवाल किए जाने पर प्रकाश ने कहा, "यह बिल्कुल सही है। आपके सामने सब कुछ सही है। हम गरीबों को दंडित किया गया है। उन्हें सब कुछ (ऐशो आराम) मिल गया।”
जबकि टाइटलर को लगातार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों में देखा जा रहा है यहीं नहीं वो दिल्ली की कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित के शपथ ग्रहण समरोह में आगे की सीट पर बैठे हुए नजर भी आए थे. जिस पर काफी बवाल मचा था. अब रिपब्लिक भारत द्वारा सामने लाए गए ताजा सबूत के चलते कांग्रेस जवाब देने के लिए मजबूर किया है.
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इस तथ्य को देखते हुए कि टाइटलर अभी भी कांग्रेस में काफी सक्रिय और पॉपुलर नेता हैं. जिसके चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के प्रशासक पद के लिए कोई भी निर्णय लेने दुगना मुश्किल है.
रिपब्लिक भारत द्वारा की गई 1984 की जांच में खुलासे की सनसनीखेज श्रृंखला न केवल दिल्ली में 3,000 से अधिक सिखों की हत्या करने वाले नरसंहार में कथित रूप से 'कांग्रेस की संलिप्तता को लेकर सवाल खड़े किए हैं बल्कि कैसे एक 'बड़ी मछली' को कानून के शिकंजे से बचाया गया, इस पर भी सवाल खड़े हुए.
रिपब्लिक भारत का सुपर स्टिंग यहां देखें...
गौरतल्ब है कि सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में, न्यायमूर्ति मुरलीधर ने 1984 के दंगों के "राजनीतिक संरक्षण" पहलू पर भी सवाल उठाए थे
सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में, जस्टिस एस मुरलीधर ने 1984 के दंगों के "राजनीतिक संरक्षण" पहलू पर भी सवाल उठाए थे। जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा, ""1947 में विभाजन के दौरान नरसंहार हुआ था. 37 साल के बाद दिल्ली ऐसी ही एक घटना की गवाह बनी. अभियुक्तों ने राजनीतिक संरक्षण का फ़ायदा लिया और मुकदमों से भागते रहे."
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Published February 14th, 2019 at 16:06 IST
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