Updated September 23rd, 2021 at 13:53 IST
महाराष्ट्र: राज्यपाल ने OBC अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार; फडणवीस ने MVA सरकार को ठहराया दोषी
ओबीसी आरक्षण अध्यादेश (OBC Reservation Ordinance) को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और महाराष्ट्र सरकार के बीच फिर विवाद खड़ा हो गया है।
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ओबीसी आरक्षण अध्यादेश (OBC Reservation Ordinance) को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और महाराष्ट्र सरकार के बीच फिर विवाद खड़ा हो गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है और आपत्ति जताई है कि जब ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लंबित है तो सरकार अध्यादेश कैसे जारी कर सकती है। राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि एमवीए सरकार (MVA Govt) को इस कदम के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित करना चाहिए। उधर, इस मसले पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमलावर हो गई है और एमवीए सरकार पर सवाल उठाए हैं।
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दरअसल, 4 मार्च के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में जिला परिषदों और पंचायत समितियों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण फीसदी को उचित ठहराए जाने के लिए ठोस आंकड़े नहीं हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को इस कोटे के बिना स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अनुमति दी थी। इस फैसले का कई ओबीसी संगठनों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने विरोध किया था।
अध्यादेश के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए आरक्षण प्रभावित नहीं होगा और ओबीसी कोटा ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन नहीं करेगा। हालांकि कोश्यारी ने यह कहते हुए अध्यादेश वापस भेज दिया कि एमवीए सरकार को इस कदम के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित करना चाहिए।
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देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल का बचाव किया
उधर, इस मामले में भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल का बचाव किया। फडणवीस ने कहा, 'राज्य सरकार के कानून एवं न्याय विभाग ने राज्यपाल को ओबीसी आरक्षण अध्यादेश भेजते समय इस पर टिप्पणी लिखी थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना ऐसा अध्यादेश जारी नहीं किया जा सकता है। ये अध्यादेश 5 मिनट भी नहीं चल पाता। इसलिए स्पष्टीकरण मांगा गया है।'
देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 'कृपया ओबीसी को धोखा न दें, हम राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं। एक स्थायी अध्यादेश पारित किया जाना चाहिए। कानून और न्याय विभाग की राय 'अस्वीकार' नहीं है। राज्यपाल द्वारा निभाई गई भूमिका उचित और ओबीसी के हित में है।'
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Published September 23rd, 2021 at 13:43 IST
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