Updated November 24th, 2018 at 20:49 IST
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा - 'महागठबंधन होगा फेल '
अरुण जेटली ने कहा, विभिन्न क्षेत्रों के राजनीतिक दलों का एक साथ आना कभी सफल नहीं हो सकता. वह क्षेत्रीय हित के विकास की राजनीतिक करेंगें न कि राष्ट्रीय हित के लिए.
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देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रिपब्लिक टीवी के ऐडिटर - इन - चीफ अर्नब गोस्वामी से बात करते हुए 'नेशन वांट टू ' कार्यक्रम में कई सनसनी खेज़ खुलासे किए. उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के कवायत पर कड़ा प्रहार किया.
अरुण जेटली ने कहा, विभिन्न क्षेत्रों के राजनीतिक दलों का एक साथ आना कभी सफल नहीं हो सकता. वह क्षेत्रीय हित के विकास की राजनीतिक करेंगें न कि राष्ट्रीय हित के लिए.
महागठबंधन पर बोलते हुए अरुण जेटली ने कहा कि , यह एक दोषपूर्ण विचार का वैकल्पिक संगठन है. जो जल्दी या बाद में टूटने की पुर्ण संभावना है. इनके पास मजबूत इरादे नहीं है और न इनके बीच कोई वैचारिक समानता है. हर किसी के पास केवल अपनी क्षेत्रीय सूद होगीं. गठबंधन में शामिल प्रत्येक साथी यह कहेंगे कि मेरे राज्य को को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए और इसके बाद उनको यह अहसास होगा कि वह बिखर रहे हैं.
अरुण जेटली ने आगे कहा कि, आपको राष्ट्रीय सुरक्षा समेत कमजोर क्षेत्रों की मदद के लिए सभी राज्यों को संयोजन की आवश्यकता है ऐसे में आपको गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों में से हर किसी का एक ऐजेंडा चाहिए. राहुल गांधी इस गंभीरता को समझ नहीं रहे हैं.
अगर आप किसी एक को विशेष राज्य का दर्जा दोगे तो उड़ीसा , बिहार और झारखंड जैसे आर्थिक रूप से कमजोर राज्य भी कहेगें कि मुझे विशेष राज्य दर्जा क्यों नहीं दिया जाए?
ऐसे में देश के सुरक्षा और विकास का क्या होगा ? या फिर आप एक के बाद एक क्षेत्रीय सूद को पुरा कर उन्हें खुश करते रहेगें. इसलिए आपके पास एक विचारधार , एक आम परिभाषित नेता और मजबूत केंद्र होना चाहिए.
लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के सवाल पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि, '' भारतीय राजनीतिक में क्षेत्रीय पार्टियों का एक साथ आने की कोशिश एक असफल विचार है.
वित्त मंत्री ने कहा इससे भी कई गंभीर मुद्दे होंगे. मेरे कुछ सवाल है कि उनके पास भारत में अवैध प्रवासियों के लिए क्या नीति है ? आपके पास कश्मीर में आतंकवाद को रोकने के लिए क्या नीतियां होंगी ? '' ये सारे राष्ट्रीय हित के मुद्दे हैं जिनके लिए एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है. और इसके लिए जनता को जानने की जरूरत है कि आपका नेता कौन है. अगर आज महागठबंधन मुझे इसका जवाब दे दें तो मुझे इससे काफी आश्चर्य होगा.
बता दें , 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले संभावित महागबंधन में प्रमुख घटक माना जा रही बसपा मुखिया मायावती ने दूरी बना ली. और मध्यप्रदेश और छत्तीशगढ़ में कांग्रेस को हाथी की सवारी करने से रोक दिया. मायावती ने भी तीनों सूबों में गठबंधन नहीं करने का दोष कांग्रेस के सिर पर मढा था.
मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी महागठबंधन से अगल हो गए. साथ उन्होंने इशारों में ही चेतावनी तक दे डाली है कि उनकी साइकिल को रोकने का प्रयास करने वालों के हाथ झटक कर किनारे करने से उन्हें कोई गुरेज नहीं करेगें.
बहरहाल, 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी और पीएम मोदी को रोकने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कवायत जारी है. इसी क्रम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी , कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी समेत तमाम प्रमुख राजनीतिक नेताओं से मिले.
इधर द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन और सीापीआई (एम) के सीताराम येजुचुरी और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने 1996 के यूनाटेड फ्रंट या 2004 के यूपीए के तर्ज पर गठबंधन के संकेत दिए हैं.
इसके आगे की जानकारी के लिए ऊपर दिए गए वीडियो पर क्लीक करें.
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Published November 24th, 2018 at 20:44 IST
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