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Updated December 6th, 2021 at 06:44 IST

जम्मू-कश्मीर के लोगों से बोले फारूक अब्दुल्ला- ‘हमें भी अपने अधिकारों के लिए किसानों जैसा बलिदान देना होगा’

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों की तरह बलिदान देना पड़ सकता है।

Reported by: Sakshi Bansal
| Image:self
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नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के लोगों को अपने राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों की तरह बलिदान देना पड़ सकता है।

फारूक ने नेकां की युवा शाखा के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “किसानों ने 11 महीने विरोध किया, 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई। केंद्र को तीन कृषि बिलों (farm bills) को रद्द करना पड़ा जब किसानों ने बलिदान दिया। हमें भी अपने अधिकार वापस पाने के लिए बलिदान देना पड़ सकता है। याद रखें, हमने (अनुच्छेद) 370, 35-ए और राज्य का दर्जा वापस पाने का वादा किया है और हम किसी भी बलिदान के लिए तैयार हैं। हालांकि, नेकां भाईचारे के खिलाफ नहीं है और न ही हिंसा का समर्थन करती है।”

उन्होंने आगे केंद्र पर हमला तेज करते हुए कहा, “आपने 50,000 नौकरियों का वादा किया था, कहां हैं वो? बल्कि आप हमारे लोगों को खत्म कर रहे हैं। क्या (जम्मू और कश्मीर) बैंक में रोजगार के लिए कोई लोग नहीं थे कि आपको पंजाब और हरियाणा के लोग मिले? जम्मू-कश्मीर के लड़के और लड़कियां कहां जाएंगे? लेकिन अगर हम आवाज उठाते हैं, तो उन्हें कुचल दिया जाता है। मीडिया दबाव का सामना कर रहा है, अगर वे (सरकार) के खिलाफ कुछ भी लिखते हैं तो उन्हें (पत्रकार) पुलिस थानों में बुलाया जाता है। और वे (सरकार) कहते हैं कि आजादी है।”

नेकां कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने और पार्टी का झंडा ऊंचा रखने के लिए कहते हुए फारूक ने आगे कहा, “कई दुश्मन आएंगे और आपको (दूर) पार्टी से खींचने की कोशिश करेंगे, लेकिन आप सावधान रहें। वे घूम रहे हैं। उनकी मत सुनो और पार्टी के साथ बने रहो।”

अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण (Article 370 abrogation)

गौरतलब है कि अगस्त 2019 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कानून के साथ संयुक्त राष्ट्रपति की अधिसूचना के कारण अनुच्छेद 370 बेमानी हो गया था। इसका मतलब यह हुआ कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा (special status of Jammu and Kashmir) खत्म कर दिया गया। इसके अलावा, इस क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। इसके बाद, राज्य में लोगों की आवाजाही और संचार पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसे धीरे-धीरे महीनों में हटाया गया था।

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Published December 6th, 2021 at 06:40 IST

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