Advertisement

Updated January 30th, 2019 at 20:37 IST

महाराष्ट्र में महागठबंधन की बातचित पूरी, जल्द होगा आधिकारिक ऐलान

लोकसभा की सीटों की संख्या के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र 48 सीटों के साथ दूसरा सबसे बड़ा राज्य हैं।

Reported by: Dinesh Mourya
| Image:self
Advertisement

लोकसभा की सीटों की संख्या के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र 48 सीटों के साथ दूसरा सबसे बड़ा राज्य हैं। नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ में से एक बन गया हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से लगभग सभी चुनाव बीजेपी ने महाराष्ट्र में जीते हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी का अश्वमेघ रोकने के लिए शरद पवार और एनसीपी ने राज्य में 8-10 समविचारी पार्टीयों का महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रहें थे । बसपा, सपा, सीपीआई, हितेंद्र ठाकुर की पार्टी बहुजन विकास आघाडी, किसान नेता राजू शेट्टी की पार्टी सहित अन्य दलों से बातचित कॉंग्रेस और एनसीपी ने पिछले साल ही शुरु कर दिया था। कई हफ्तों की बातचित के बाद अब तस्वीर साफ हो गई हैं और दोनों दलों ने सीटों के बंटवारे का फॉर्म्युला लगभग फायनल कर लिया हैं। 

कॉंग्रेस सुत्रों के मुताबिक, दोनो ही दल पुराने फॉर्म्युले 26-22 पर राजी हो गए हैं। पुराने फॉर्म्युले के मुताबिक, कॉंग्रेस 26 और एनसीपी 22 पर चुनाव लडेगी। साथी दलों के लिए दोनो ही दलों को अपने कोटे में से सीट छोडने होंगे। राजू शेट्टी की पार्टी के लिए एनसीपी एक सीट छोडेगी और हितेंद्र ठाकूर की पार्टी के लिए कॉंग्रेस एक सीट छोडेगी। प्रकाश अंबेडकर को महागठबंधन में शामील करने पर सहमती बन गई हैं लेकिन उन्हे कितनी सीट दी जाए इसपर बात अबतक नहीं बन पायी हैं। प्रकाश अंबेडकर को 2 से 4 सीटें दोनों ही दल दे सकते हैं। प्रकाश अंबेडकर को लेकर आखरी फैसला होने के बाद कांग्रेस और एनसीपी दोनों ही अपने कोटे में से सीटें प्रकाश अंबेडकर की पार्टी के लिए छोडेंगे। 

कांग्रेस ने 26 सीटें के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया भी लगभग पुरी कर ली हैं। एनसीपी ने भी अपने संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट को लगभग फायनल कर लिया हैं। फरवरी के पहले हफ्ते में दोनों ही दल दुबारा साथ बैठेंगें और सीटों के बंटवारे की औपचारिकता को पुरी करेंगें। इस बीच कांग्रेस-एनसीपी के नेता इस पर भी फैसला ले लेंगे की प्रकाश अंबेडकर को कितनी सीटें देनी हैं। 

बीजेपी के लिए ये महागठबंधन बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता हैं। क्योंकि, कांग्रेस-एनसीपी अन्य समविचारी दलों के साथ बहुत ताक़तवर हो जायेंगे और बीजेपी को हराना उनके लिए आसान होगा। देवेंद्र फडणवीस को भी इसी बात का अहसास हैं शायद यही वजह हैं की वह कई बार सार्वजनिक रुप से कह चुके हैं की अगर शिवसेना बीजेपी अलग अलग लड़े तो दोनों ही दलों को इसका ख़मियज़ा उठाना पड़ सकता हैं।

Advertisement

Published January 30th, 2019 at 20:32 IST

आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.

अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।

Advertisement

न्यूज़रूम से लेटेस्ट

1 दिन पहलेे
2 दिन पहलेे
2 दिन पहलेे
3 दिन पहलेे
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Whatsapp logo