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Updated October 15th, 2020 at 07:42 IST

असम: मदरसे बंद करने पर बोले हिमंत बिस्वा सरमा- ‘धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाना सरकार का काम नहीं’

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नवंबर में सभी राज्य संचालित मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के बारे में एक अधिसूचना जारी की जाएगी।

Reported by: Sakshi Bansal
| Image:self
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असम से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक और राज्य के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि नवंबर में सभी राज्य संचालित मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के बारे में एक अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा- “धार्मिक शास्त्र पढ़ाने वाली संस्थाओं को चलाना सरकार का काम नहीं है और राज्य द्वारा संचालित मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करना एक धर्मनिरपेक्ष काम है।”

मदरसा एक शैक्षिक संस्थान होता है जहां कुरान और इस्लामी पवित्र कानून की पढ़ाई कराई जाती है। इसके साथ ही वहां गणित, व्याकरण, कविता और इतिहास भी पढ़ाया जाता है। मदरसों में कार्यरत लगभग 148 संविदा शिक्षकों को सामान्य माध्यमिक शिक्षा के तहत स्कूलों में स्थानांतरित किए जाने की संभावना है।

इस कदम पर रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी से बात करते हुए, सरमा ने कहा, “असम लगभग एक हजार मदरसे चलाता है और इस पर 260 करोड़ रुपये सालाना खर्च करता है। हमने इसकी जांच की है और पाया है कि राज्य को कुरान के शिक्षण में शामिल नहीं होना चाहिए। यह हमारा काम नहीं है।”

मंत्री ने अन्य संगठनों द्वारा स्कूलों में भगवत गीता और पवित्र बाइबल पढ़ाने की मांगों के बारे में बताया और कहा कि ‘सरकार विशेष धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाने के लिए करदाताओं के धन का उपयोग नहीं करेगी।’ उनके मुताबिक, “अब चूंकि हम धर्मग्रंथों पर सभी स्कूल नहीं चला सकते, इसलिए हमने मदरसों को बंद करने का फैसला किया है और नवंबर में अधिसूचना जारी की जाएगी।”

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने घोषणा की है कि ‘अगर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार राज्य द्वारा संचालित मदरसों को बंद करती है तो उनकी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें फिर से खोल देगी।’ इस पर सरमा ने कहा कि ‘वह धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगते।’ उन्होंने कहा- “अगर अजमल ने सोचा कि बीजेपी मुस्लिम समुदाय से मुस्लिमों के रूप में वोट मांगने जा रही है, तो यह गलत है। हम भारतीय नागरिकों से वोट मांगेंगे न कि धर्म से।”

राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड (SMEB) के अनुसार, असम में 614 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। SMEB वेबसाइट के मुताबिक, इनमें से 400 हाई मदरसे हैं, 112 जूनियर हाई मदरसे हैं और शेष 102 सीनियर मदरसे हैं। कुल मान्यता प्राप्त मदरसों में से 57 लड़कियों के लिए हैं, 3 लड़कों के लिए हैं और 554 सह-शैक्षिक हैं। 17 मदरसे उर्दू माध्यम से चल रहे हैं।

 

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Published October 15th, 2020 at 07:39 IST

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