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Updated November 1st, 2018 at 20:18 IST

National Approval Ratings: केरल में बीजेपी का नहीं खुलेगा खाता! UPA के खाते में आएंगी इतनी सीट..

आज अगर लोकसभा चुनाव होने की स्थिति बन जाए तो देश के दक्षिणी छोर में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाला केरल में राजनीतिक हाल कैसा होगा.

Reported by: Neeraj Chouhan
| Image:self
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दुनिया के सबसे बड़ें लोकतांत्रिक देश भारत एक बार फिर साल 2019 में सबसे बड़ा पर्व मनाएगा यानि आम चुनाव से गुजरेगा. जनता अपने मतदान की ताकत का प्रयोग करते हुए देश की सत्ता किसे सौपनी है? उसका फैसला करेगी. 

ऐसे में राजनीतिक पार्टियां (चाहे वो सत्ता पक्ष हो या विपक्ष) भी इस मौके को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती .  2014 में विशाल बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ​​​के सामने जहां सत्ता को बचाने की चुनौती है, तो वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी पिछले लोकसभा से शिकस्त को भूल दुबारा सत्ता में वापसी करने को बेकरार है . वहीं क्षेत्रिय पार्टियां भी देश के सामने खुद को तीसरा विकल्प के तौर पर स्थपित करने की कोशिश में हैं.

आज अगर लोकसभा चुनाव होने की स्थिति बन जाए तो देश के दक्षिणी छोर में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाला केरल में राजनीतिक हाल कैसा होगा. रिपब्लिक टीवी और सी वोटर ने National Approval Ratings के द्वारा वहां की स्थिति को सामने रखने की कोशिश की है

वहीं National Approval Ratings | PROJECTION: के मुताबिक राजनीतिक रूप से महत्तवपूर्ण केरल में लोकसभा के 20 सीटों के लिए मुख्य रूप से कांग्रेस और एलडीए में जंग दिखाई देती है. बीजेपी को इस बार भी यहां से निराश लग सकती है. दूसरी ओर  कांग्रेस और यूडीएफ गठबंधन को बड़ा फायदा मिलता हुआ दिखा रहा है, जहां साल 2014 में कांग्रेस गठबंधन को 12 सीट मिल थी वहीं अब चुनाव होने पर उसे 16 सीट मिल सकती हैं. 

आरएसएस और वामपंथी के बीच चरम और हिंसक ध्रुवीकरण के बावजूद भी बीजेपी के खाते में कोई सीट जाती नहीं दिख रही और बल्कि उसके वोटशेयर में भी गिरावट देखी जा रही है. लेकिन सबसे बड़ा झटका तो एलडीएफ के लिए है, जिसको 2014 में 6 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन अब उसे 2 सीट का नुकसान होता दिख रहा है.

अगर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही थी. बीजेपी ने इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर मेघालय, नागालैंड में सरकार बनाई तो त्रिपुरा में काफी सालों से मौजूद लेफ्ट पार्टी को अपने दम पर सत्ता से बेदखल कर दिया था. वहीं कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में JDS के साथ चुनाव के बाद गठबंधन करके बीजेपी को सत्ता से दूर रखा. 

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Published November 1st, 2018 at 17:57 IST

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