Updated June 2nd, 2023 at 12:58 IST
1984 Anti-Sikh Riots: जगदीश टाइटलर के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट को कोर्ट ने दी मंजूरी
1984 पुल बंगश गुरुद्वारे के सिख विरोधी दंगा के कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के मामले को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने MP-MLA कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है।
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1984 Anti Sikh Riots: 1984 पुल बंगश गुरुद्वारे के सिख विरोधी दंगा के कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के मामले को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने MP-MLA कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। मामले में अगली सुनवाई 8 जून को होगी। जगदीश टाइटलर के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट को मंजूरी मिल गई है।
CMM महिमा राय सिंह ने जदगीश टाइटलर के खिलाफ इस मामले को विधि गुप्ता आंनद की अदालत को ट्रांसफर किया है। मामले में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि जगदीश टाइटलर के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई है।
क्या है 1984 का सिख विरोधी दंगा?
31 अक्टूबर 1984 को देशी की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिखों ने ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी थी। पूर्व पीएम के हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़की थी। हिंसा की आंच कानपुर तक जा पहुंची। कानपुर सबसे ज्यादा झुलसा। रिपोर्ट के अनुसार करीब 127 लोग इस हिंसा में मारे गए। हालांकि लोगों का कहना था कि इसमें करीब 300 से ज्यादा लोग मारे गए। बावजूद इसके इस दंगे की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्रा आयोग ने रिपोर्ट में केवल 127 मौत का आंकड़ा ही दर्ज किया। इस दौरान सिखों ने कई आरोप लगाए। सिखों ने आरोप लगाया कि इसमें 84 ऐसे मामले थे, जिसे कोई सबूत ना होने की वजह से बंद कर दिया गया।
35 साल बाद योगी सरकार में फिर खुला मामला
हिंसा को पीड़ितों को सालों तक इंसाफ नहीं मिली थी। हालांकि सभी पीड़ितों के लिए योगी सरकार ने आस जगाई। दरअसल 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हिंसा की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानि SIT की टीम के गठन का ऐलान कर दिया। योगी सरकार ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की हिंसा के 1251 मामलों की जांच के लिए पूर्व डीजीपी अतुल कुमार की अध्यक्षता वाली टीम गठित कर दी। SIT ने 1251 में से कुल 40 मामलों को शॉर्टलिस्ट किया।
40 में से कुल 11 मामलों में कानपुर पुलिस ने चार्जशीट दायर की। बाकी के 29 मामलों में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। अब इन 29 में से 20 मामलों पर एसआईटी ने अपना हाथ डाला। इसके बाद इनमें से कुल 11 मामलों में एसआईटी को जांच में सबूत मिले, जबकि 9 मामलों की फाइलें बंद कर दी गई। इन 9 मामलों में जांच एजेंसी को सबूत नहीं मिले।
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Published June 2nd, 2023 at 12:58 IST
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