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Updated November 4th, 2018 at 16:36 IST

तिनसुकिया हिंसा: मृतक के परिजनों से मिला TMC नेताओं का प्रतिनिधिमंडल

तिनसुकिया पहुंचे टीएमसी नेताओं की टीम ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उल्फा के उग्रवादियों ने 1 नवंबर को 5 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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असम के तिनसुकिया में संयुक्त लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) द्वारा मारे गए 5 लोगों के परिजनों से मिलने के लिए रविवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल असम पहुंचा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ित परिजनों से मिलने के लिए एक टीम असम भेजी है. जिसमें राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन, ममता बाला ठाकुर, नदीमुल हक और महुआ मोइत्रा शामिल हैं.

तिनसुकिया पहुंचे टीएमसी नेताओं की टीम ने पीड़ित परिवारों को सांत्वाना देते हुए पार्टी की तरफ से हर परिवार को एक लाख रुपये सहायता राशि के तौर पर दिया है. 

बता दें कि गुरुवार शाम हुए उग्रवादियों ने हमला कर दिया और बंगाली समुदाय के पांच लोगों को उठा लिया था. इसके बाद अगवा किये युवाओं को बिश्नोमुख गांव में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे ले जाकर उन्हें गोली मार दी थी. इनमें से 4 लोगों की तो मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक की अस्पताल ले जाते वक्त मौत हो गई थी. मारे गए लोगों की पहचान अनंत नामसूद्र, अबिनश नमसूद्र, सुबल दास, धनई नमसूद्र और सिमल विश्वास के रूप में हुई थी.

हत्या के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि, 'मैं नहीं जानती कि क्यों इन लोगों की हत्या की गई. लेकिन एक चीज पक्का है कि इन हत्याओं से अमंगल संदेश भेजा जा रहा है.'

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इस वारदात को अंजाम देने के पीछे ULFA इंडिपेंडेंट का नाम सामने आया था. ये वही उल्फा है जिसपर केंद्र सरकार ने 1990 में इस एक आतंकवादी संगठन करार देकर प्रतिबंध लगा दिया था.

हत्या के विरोध में शनिवार को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद के दौरान असम के कुछ जिलों में प्रदर्शनकारियों ने रेल पटरियों पर धरना दिया था. जिसमें कई वाहनों पर पथराव हुआ और सड़कों पर टायर जलाए गए थे. बंद के दौरान पुलिस ने करीब 700 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.

हत्या में संलिप्त उग्रवादियों की पुलिस भी लगातार तलाश कर रही है. हालांकि पुलिस अभी भी इस घटना को अंजाम देने वालों की पहचान नहीं हो पाई है. अब देखने वाली बात ये होगी कि हत्या में शामिल संदिग्ध उग्रवादी आखिर कब कानून के हत्थ चढ़ते हैं.

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Published November 4th, 2018 at 14:50 IST

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