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Updated February 21st, 2019 at 13:08 IST

‘राफेल’ में फैसले की समीक्षा की मांग पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

जब प्रशांत भूषण ने राफेल मामले में याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की तब पीठ ने कहा ‘‘पीठ (के न्यायाधीशों) में बदलाव करना होगा।

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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देश के सियासी गलियारों की आबो हवा में सबसे ज्यादा तड़कता-भड़कता मुद्दा आजकल 'राफेल सौदा' है। काफी लंबे वक्त से कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक के बाद एक लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर राफेल सौदे को लेकर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं।

इस बीच देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि राफेल मामले में उसके फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली अपीलों को सूचीबद्ध करने पर वह विचार करेगा।

संबंधित याचिकाओं के समूह को सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को खारिज कर दिया था। इस समूह में पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण की याचिकाएं भी थीं। उस वक्त अदालत ने कहा था कि फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद में केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह का सवाल ही नहीं उठता।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राफेल मुद्दे पर चार आवेदन या याचिकाएं दाखिल की गई हैं और इनमें से एक तो अब तक खामी की वजह से रजिस्ट्री में पड़ी है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी हैं।

जब प्रशांत भूषण ने राफेल मामले में याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की तब पीठ ने कहा ‘‘पीठ (के न्यायाधीशों) में बदलाव करना होगा। यह बहुत मुश्किल है। हमें इसके लिए कुछ करना होगा।’’

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भूषण ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं के अलावा एक ऐसा आवेदन भी दाखिल किया गया है जिसमें अदालत को गुमराह करने वाली जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है।

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वकील भूषण के अलावा सिन्हा और शौरी ने उच्चतम न्यायालय से सोमवार को हाईप्रोफाइल राफेल मामले में सीलबंद लिफाफे में ‘‘झूठी या भ्रामक’’ जानकारी कथित तौर पर देने के लिए केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ झूठे साक्ष्य का मुकदमा शुरू करने का आग्रह किया।

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Published February 21st, 2019 at 12:47 IST

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