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Updated September 27th, 2018 at 18:36 IST

अयोध्या केस LIVE Update: SC ने फैसला सुनाते हुए कहा - मस्जिद में नमाज मसला ऊंची पीठ को सौंपने की जरुरत नहीं

बता दें मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से 1994 के इस्माइल फारुकी केस पर पुनर्विचार की मांग की.

Reported by: Amit Bajpayee
| Image:self
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सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में ''नमाज पढ़ना इस्लाम धर्म का अभिन्नम अंग है या नहीं''  मामले में  गुरुवार को अहल फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है. इस मामले पर दो फैसले पढ़े जाएंगे. जस्टिस अशोक भूषण, अपना और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला सुनाया . चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला दिया . जबकि जस्टिस नजीर ने अपना फैसला अलग पढ़ते हुए कहा की मैं भाई जजों के राय से सहमत नहीं हूं. 

- 'बाबर आतंकवादी था.. बाबर लुटेरा था.. उसने मंदिर और मस्जिद तोड़ी थी' : रामविलास वेदांती

- राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष राम विलास वेदांती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा- जजों से निवेदन है कि राम जन्मभूमि का निर्णय जल्दी-जल्दी करें ...

- राम विलास वेदांती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा- जजों से निवेदन है कि राम जन्मभूमि का निर्णय जल्दी-जल्दी करें ...

- अयोध्या विवाद में याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने कहा-  विवादित स्थल  पर 'फैसला जल्द आए यही सबकी मांग हैं ''

- पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया. उनहोंने कहा, उचीं पीठ को ये मामला देने का कोई तुक नहीं था..

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- 1994 मामले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है. 

- सुप्रीम कोर्ट में अब अयोध्या मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर, 2018 से शुरू होगी. 

-जस्टिस नजीर ने असहमती जताते हुए कहा - मैं अपने भाई जजों के राय से सहमत नहीं हूं.

-इस मामले पर दो फैसले पढ़े गए. जस्टिस अशोक भूषण , अपना और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला सुनाते हुए कहा, हर फैसला अलग हालत में किया जाता है. 

वहीं जस्टिस नजीर ने असहमती जताते हुए कहा - मैं अपने भाई जजों के राय से सहमत नहीं हूं.

अयोध्या राम जन्म भूमि - बाबरी मस्जिद मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जोजों की बेंच ने इसी साल 20 जुलई को  फैसला सुरक्षित कर लिया. आज तय होगा कि 1994 का फैसला बरकरार रहे या पुनर्विचार किया जाए. 

बता दें मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से 1994 के इस्माइल फारुकी केस पर पुनर्विचार की मांग की. मुस्लिम पक्ष के मुताबिक फारुकी केस मुख्य मामले पर असर डाल सकता है. इसलिए मुस्लिम पक्ष की मांग है कि फारुकी केस पर 7 जजों की संविधान पीठ पुनर्विचार करे .


दरअसल अयोध्या मामले के मुख्य मामले यानी टाइटल सूट की सुनावाई से पहले कोर्ट ने इस पर फैसला देने का विचार किया है. कि क्या नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं. इस मामले के बाद टाइटल सूट मामले पर सुनवाई होगी.

आपको बता दें कि 1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था ताकि हिंदू पूजा कर सकें. जजों की पीठ ने कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए एक तिहाई हिंदू , एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था.

बाबरी मस्जिद के मुद्दी इकबाल अंसारी का ने रिपब्लिक भारत से बात करते हुए कहा कि 27 तारीख यानी आज कोर्ट जो भी फैसला करे हमें मंजूर है. लेकिन मस्जिद में मूर्ति रखी गई , मस्जिद तोड़ी गई. फैसला कोर्ट को सबूतों के बुनियाद पर करना है. 

उनके अनुसार मस्जिद इस्लाम का एक अंग है. मस्जिद तोड़ दी गई , तब भी नमाज जमीन पर बैठकर की जाएगी. वह जगह मस्जिद कहलाएगी. उन्होंने कहा मस्जिद की जमीन ना किसी को दी जा सकता है और ना बेची जा सकता है. वह हमेशा मस्जिद ही कही जाएगी. हमें कोर्ट पर पुरा विश्वास  है. कोर्ट फैसला करे. इधर करे या उधर करे , क्योंकि इसके पहले इस पर इतनी राजनीति की जा चुकी है. 

बता दें 25 साल पहले यूपी में कल्याण सिंह के सरकार की थी 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी. जिसके बाद कल्याण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था.

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Published September 27th, 2018 at 14:17 IST

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