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Updated September 26th, 2018 at 12:09 IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा - संवैधानिक रूप से वैध है आधार

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि बैंक खाता खोलने के लिए अब आधार जरूरी नहीं है.

Reported by: Amit Bajpayee
| Image:self
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आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की पीठ ने अपना फैसाल सुनाया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी ने आधार पर फैसला पढ़ा. उन्होंने अपने फैसला में कहा हैकि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है. इस पर हमला संविधान के खिला पहै. 

वहीं कोर्ट रुम में फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो , कुछ अलग भी होना चाहिए. आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है. कोर्ट ने कहा आधार कार्ड को पैन कार्ड से जोड़ना जरूरी होगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कहा-

  • बैंक खाता खोलने के लिए अब आधार जरूरी नहीं है. 
  • बैंक अकाउंट से मोबाइल लिंक करना जरूरी नहीं
  • स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं
  •  बोर्ड एग्जाम के लिए आधार जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है. जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की ओर ले जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने पीठ ने कहा किआधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमिट्रिक आंकड़े एकत्र किये हैं वो काफी कम है, उसके मुकाबले जो इससे फायदा मिलता है वो काफी ज्यादा है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.

आधार पर फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की बाकि सभी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई है. इनमें मोबाइल सिम और बैंक खाते भी शामिल हैं. 

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए. इसके अलावा सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है.

बता दें सेवानिवृत जज पुत्तासामी समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है. याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किए जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है. 

आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओ से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान,   अरविन्द दत्तार , गोपल सुब्रमण्यम , पी. चिदंबरम , केवी विश्वनाथन सहित आधा दर्जन लोगों ने बहस की  और आधार को निजता के अधिकार का हनन बताया था.  

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Published September 26th, 2018 at 11:48 IST

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