Updated April 2nd, 2019 at 13:07 IST
'लोगों की इच्छा के बाद मूर्तियां बनवाई गई थीं', मायावती ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनामे में कहा
मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी और हाथी की प्रतिमाओं पर पैसा खर्च करने के मामले में अपना हलफनामा दाखिल किया है।
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बीएसपी अध्यक्ष मायावती का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है और खुद की और हाथियों की मूर्ति लगाए जाने को सही ठहराया है। मायवाती के मुताबिक मूर्तियां लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं और लोगों की इच्छा के बाद ही मूर्तियां बनवाई गई थीं।
मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी और हाथी की प्रतिमाओं पर पैसा खर्च करने के मामले में अपना हलफनामा दाखिल किया है।
आपको बता दें कि मायावती ने लखनऊ और नोएडा के पार्क में कांशीराम, अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनवाई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने स्मारकों और मूर्तियों का पैसा वापस लौटाने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वो पहली नजर में उसका विचार है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रतिमाओं पर लगाया जनता का पैसा लौटाना चाहिए।
लखनऊ और नोएडा में मायावती और उनकी पार्टी के चिह्न हाथी की प्रतिमाएं बनवाई गई थीं। एक वकील ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई कि नेताओं द्वारा अपनी और पार्टी के चिह्न की प्रतिमाएं बनाने पर जनता का पैसा खर्च न करने के निर्देश दिए जाएं।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में दायर रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए।
रविकांत ने 2009 में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक्त लगेगा, इसलिए इसे अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।
जब यूपी में समाजवादी पार्टी का शासनकाल था तो उस वक्त अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ विकास प्राधिरकरण के सामने एक रिपोर्ट पेश हुई थी जिसमें दावा किया गया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
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Published April 2nd, 2019 at 13:00 IST
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