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Updated December 21st, 2018 at 11:36 IST

1984 दंगे के दोषी सज्जन कुमार को एक और झटका, सरेंडर के लिए नहीं मिला वक्त.. अपील खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में दोषी सज्जन कुमार की याचिका खारिज कर दी है.

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में दोषी सज्जन कुमार की याचिका खारिज कर दी है. कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी देकर सरेंडर करने के लिए 30 जनवरी तक का वक्त मांगा था.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि उसे सरेंडर के लिए सज्जन कुमार को और समय देने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है.

सजा सुनाए जाने के बाद सज्जन कुमार के लिए ये एक और बड़ा झटका है.

बता दें, हाईकोर्ट ने कुमार को निर्देश दिया था कि वो 31 दिसंबर तक सरेंडर कर दें लेकिन सज्जन कुमार ने पारिवारिक कामकाज खत्म करने के लिए थोड़ा वक्त और मांगा था. जिसपर कोर्ट ने कहा कि उसे कोई आधार नहीं नज़र आ रहा है.

गुरुवार को सज्जन कुमार की ओर से पेश हुए वकील अनिल शर्मा ने कहा था कि हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए उन्हें कुछ और वक्त चाहिए. साथ ही सज्जन कुमार को अपने बच्चों और संपत्ति से जुड़े परिवारिक मामले निपटाने हैं.

याचिका में कहा गया था कि दोषी ठहराए जाने के वक्त से ही सज्जन कुमार सदमे में हैं और उनका मानना है कि वो निर्दोष हैं.

गौरतलब है कि ये मामला दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली की पालम कालोनी में राज नगर पार्ट-1 में 1984 में एक से दो नवंबर तक पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-2 में गुरुद्वारे में आगजनी से जुड़ा है. ये दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को दो सिख सुरक्षाकर्मियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद भड़के थे.

अर्जी में सज्जन कुमार ने कहा था कि उनका परिवार बड़ा है, जिसमें पत्नी, तीन बच्चे, आठ पोते पोतियां हैं और उन्हें संपत्ति से जुड़े मसलों सहित परिवार के मसले निपटाने हैं.

याचिका में ये भी कहा गया था कि उन्हें हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने का वैधानिक अधिकार है और जिसके लिए उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ताओं की आवश्यकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी के कारण वे इस वक्त देश से बाहर हैं.

गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर को सज्जन कुमार को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने कहा था कि ये दंगे ‘‘मानवता के खिलाफ अपराध’’ थे जिन्हें उन लोगों ने अंजाम दिया जिन्हें ‘‘राजनीतिक संरक्षण’’ हासिल था और एक ‘‘उदासीन’’ कानून प्रवर्तन एजेंसी ने इनकी सहायता की थी.

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Published December 21st, 2018 at 11:29 IST

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