Updated April 3rd, 2020 at 20:39 IST
कोरोना संकट: सुप्रीम कोर्ट ने कई याचिकाओं पर केंद्र से मांगा जवाब, मास्क, सेनिटाइजर की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
याचिका में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों से इन लोगों को वेतन दिलवाने की मांग पर सॉलिसिटर जनरल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह की पीआईएल की दुकानें बंद होनी चाहिए।
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कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन के बीच अति महत्वपूर्ण याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। ऐसी ही कुछ याचिकाओं पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच सुनवाई के लिए बैठी। ये याचिकाऐं कोरोना संकट को लेकर दाखिल की गई थीं।
एक याचिका जिसमें कोरोना संकट के मद्देनज़र पलायन करने वाले सभी तरह के मज़दूर और रेहड़ी पटरी लगाने वालों को लॉकडाउन की अवधि में उनका वेतन या न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग की गई थी, उसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर सात अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
ये याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज की तरफ से दाखिल की गई थी, याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि सरकार ने मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी बढ़ा दी लेकिन पलायन करने वाले असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिये कुछ नहीं किया गया।
याचिका में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों से इन लोगों को वेतन दिलवाने की मांग पर सॉलिसिटर जनरल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह की पीआईएल की दुकानें बंद होनी चाहिए। एसी कमरों में बैठकर जनहित याचिका दाखिल करने से कोई फायदा नहीं होता सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि अगर अदालत प्रवासियों और श्रमिकों पर विस्तृत रिपोर्ट चाहती है तो हम दायर करेंगे।
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की बात पर सहमति जताते हुए सात अप्रैल तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।सुप्रीम कोर्ट में एक दूसरी याचिका में पलायन कर रहे मज़दूरों को ठहराने के लिए होटल, रिसॉर्ट के इस्तेमाल की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पलायन करने वाले लोगों को सरकारी इमारतों में उचित मेडिकल सुविधा के साथ ठहराया गया है और राज्य सरकारें भी इन लोगों का ख्याल रख रही हैं। इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों लोग, लाखों आइडिया दे रहे हैं, हम सबको नहीं सुन सकते।
एक दूसरी याचिका में मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाज़ारी के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की गई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया। केन्द्र सरकार को दिये आदेश में कहा कि सरकार मास्क-सैनिटाइजर की अधिकतम कीमत तय करने वाली अपनी अधिसूचना का प्रचार-प्रसार करे और नोटिफिकेशन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। कोर्ट को सरकार ने बताया कि अधिक कीमत पर बेच रहे लोगों की शिकायत के लिए लोगों को हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
कोरोना के टेस्ट फ्री करने को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अपनी याचिका की कॉपी सॉलिसिटर जनरल को देने को कहा जिसके आधार पर सॉलिसिटर जनरल अगले हफ्ते अपना जवाब दाखिल करेंगे।
इस याचिका में मांग की गई है कि सभी अस्पतालों में कोविड 19 के मुफ्त टेस्ट और इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाए, याचिका में शिकायत की गयी है कि निजी लैब कोरोना टेस्ट के लिए 4500 रुपए ले रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि कोरोना के टेस्ट को फ्री किया जाए और इसका कोई शुल्क ना लिया जाए।
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Published April 3rd, 2020 at 20:39 IST
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