Updated March 12th, 2019 at 12:17 IST
केंद्र सरकार ने SC में हलफनामा दायर किया-'संशोधनों ने संविधान की मूल संरचना या 1992 के फैसले का उल्लंघन नहीं किया है'
सरकार ने कहा कि यह कदम आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आयोग की सिफारिशों के बाद किया गया था, इसके अध्यक्षता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.आर. सिन्हा थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण पर रोक नहीं लगाई जाएगी । सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि इस संबंध में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि 10 फीसदी आरक्षण आर्थिक आधार को संविधान पीठ के पास भेज कर न्यायिक परीक्षण करने पर अगली तारीख को विचार करेंगे। ये तय करेंगे की इसे संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं ।इसपर सुप्रीम कोर्ट 28 मार्च को करेगा सुनवाई।
वहीं 10 फीसदी आरक्षण आर्थिक आधार पर देने का केंद्र सरकार ने बचाव किया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया कि संशोधनों ने संविधान की मूल संरचना या सुप्रीम कोर्ट के 1992 के फैसले का उल्लंघन नहीं किया है।
सरकार ने कहा कि यह कदम आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आयोग की सिफारिशों के बाद किया गया था, इसके अध्यक्षता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.आर. सिन्हा थे।
वहीं इंद्रा साहनी मामले में, और यह कि आरक्षण पर पचास प्रतिशत की सीमा यह केवल अनुच्छेद 15 (4), 15 (5) और 16 (4) के तहत किए गए आरक्षण पर लागू होता है और अनुच्छेद 15 (6) पर लागू नहीं होता है"
दरअसल संवैधानिक (103 वां संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर किया है।
आपको बता दें कि सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून की वैधता पर विचार करने की बात मान ली थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता और कांग्रेस ने तहसीन पूनावाला की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। पूनावाला के वकील ने कोर्ट से कहा कि उनकी चिंता केवल इस बात को लेकर है कि आरक्षण का कोटा 50 फीसदी से ज्यादा न हो।
याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए जनरल कैटेगरी के गरीब लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है। यह बिल 8 जनवरी को लोकसभा और उसके अगले दिन राज्यसभा से पारित हो गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे स्वीकृति दे दी थी।
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Published March 12th, 2019 at 12:13 IST
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