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Updated January 10th, 2019 at 11:27 IST

अयोध्या मामले में जस्टिस यूयू ललित ने खुद को बेंच से अलग किया, अगली सुनवाई 29 जनवरी को

दरअसल जस्टिस यू यू ललित ने खुद को सुनवाई से अगल कर लिया है . जिसके बाद इस पूरे मामले में नया मोड़ है. उन्होंने कहा है कि वो सुनवाई में हिस्सा नहीं लेंगे.

Reported by: Amit Bajpayee
| Image:self
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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की बेंच चीफ जस्टिस की अध्यक्षता सुनवाई होने वाली थी लेकिन इससे पहले जस्टिस यूयू ललित के मामले से अलग होने के बाद इस सुनवाई को रद्द कर दिया गया. अब सुनवाई के लिए किसी नए जज को शामिल किया जाएगा. लेकिन मामला फिलहाल 29 जनवरी तक टाल दिया गया है. 

दरअसल जस्टिस यू यू ललित ने खुद को सुनवाई से अगल कर लिया है . जिसके बाद इस पूरे मामले में नया मोड़ है. उन्होंने कहा है कि वो सुनवाई में हिस्सा नहीं लेंगे.

जानकारी के अनुसार कोर्ट में सुनवाई शुरु होते ही सुन्नी वक्त बोर्ड के वकील राजीव धवन ने एक रोड़ा अटकाई कि जस्टिस यूयू ललित ने 1994 में एक केस में पक्षकार की तरफ से पेश हुए थे. हालांकि उन्होंने कहा कि इससे हमें कोई आपत्ती नहीं है लेकिन हम यह बात कोर्ट की निगाहों में लाना चाहते थे. लेकिन जब कोर्ट के निगाहों यह बात आ गई तो पांचों जजों ने इस मामले में काफी देर तक  सलाह मसवरा किया और उसके बाद कोर्ट ने इसपर ऑर्डर लिखावाया. कोर्ट ने कहा इस मामले की अगली सुनवाई नई बेंच 29 जनवरी को करेगी. 

हालांकि यूपी सरकार के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित के पीठ में शामिल होने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन इस तरह का मामला उठाने के बाद जस्टिस यूयू ललित ने खुद को अगल कर लिया है. 

इस मामले से जुड़े 18836 पेज के दस्तावेज हैं, जबकि हाई कोर्ट का फैसला ही 4304 पेज का है. जो भी मूल दस्तावेज हैं उनमें अरबी , फारसी , संस्कृत , उर्दू और गुरमुखी में लिखे हैं. वकीलों ने कहा कि ट्रांस्लेशन की भी पुष्टि होनी चाहिए. 

बता दें कि यह पीठ यह पीठ इलाहबाद हाईकोर्ट के सिंतबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करती. कार्य को यह भी तय करना था कि इस मामले में जल्द मामले में जल्द और नियमित सुनवाई होनी चाहिए या नहीं. वकील हरिनाथ राम ने नवंबर में जनहित याचिका लगाकर यह मांग की थी. 

पहले इस मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा  की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही थी. 2 अक्टूबर को उनके रिटायर होने के बाद इस केस को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली दो सदस्यीय बेंच में सूचीबद्ध किया गया. 

इस बेंच ने 4 जनवरी को केस की सुनवाई की तारीख 10 जनवरी तय की थी. मंगलवार को इसके लिए पांच जजों की बेंच तय की गई. अब गुरुवार की सुनवाई में ये तय होगा कि मामले की नियमित सुनवाई कब से शुरू होगी और क्या ये रोजाना होगी. जानकारी के अनुसार सुबह 10.30 बजे मामले की सुनवाई होनी है.

अयोध्या मामले में पांच सदस्यीय बेंच का गठन के बाद जहां बहस का मुद्दा बन गया है. इसे लेकर कानूनी जानकार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीएन खरे के मुताबिक, चीफ जस्टिस को संविधान पीठ के गठन का अधिकार है. अगर चीफ जस्टिस को लगता है कि इसमें कानूनी सवाल है, तो वह ऐसा कर सकते हैं. ऐसा पहले भी हुआ है.

गौरतलब है कि अयोध्या में भूमि विवाद से संबंधित 2.77 एकड़ जमीन के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 सितंबर, 2010 के 2:1 के बहुमत के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गई हैं. हाईकोर्ट ने इस फैसले में विवादित भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था.

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Published January 10th, 2019 at 11:23 IST

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