Updated December 31st, 2018 at 16:21 IST
1984 सिख विरोधी दंगा: हत्या के दोषी सज्जन कुमार ने कड़कड़डूमा कोर्ट में किया सरेंडर
कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में जीवन आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया
Advertisement
कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.
1984 सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने सोमवार को दोपहर 2:15 बजे दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट पहुंचे और अदालत में उन्होंने सरेंडर कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को बीते 17 दिसंबर को दिल्ली कैंट इलाके में पांच सिखों की हत्या के लिए दोषी ठहराया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले में दोषी ठहराते हुए ये सजा सुनाई थी. अदालत ने कुमार के आत्मसमर्पण करने के लिये 31 दिसंबर तक की समय-सीमा निर्धारित की थी. उन्होंने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग के समक्ष सरेंडर किया. जानकारी के मुताबिक सज्जन कुमार को तिहाड़ जेल में नहीं रखा जाएगा.
सज्जन कुमार के सरेंडर को लेकर अदालत के बाहर काफी तादाद में पीड़ित मौजूद थे.
वहां मौजूद महिलाओं ने रिपब्लिक से हुई बातचीत में अपना आक्रोश बयां करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी खूब खरी-खोटी सुनाई. पीड़ितों ने गुस्से में कहा, ''राहुल गांधी कहते थे कि कांग्रेस का हाथ नहीं है. वो अब देखें... उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का इससे नाता नहीं है तो उनका इतना बड़ा नेता कहा से दोषी पाया गया, कैसे हत्यारा निकला?''
रिपब्लिक टीवी से बातचीत के दौरान पीड़ितों के दर्द छलक गए. उन्होंने उस वक्त की आप बीती बताई जो उन्होंने अपनी नज़रों के सामने देखा था. जब उनसे कमलनाथ और अन्य नेताओं को लेकर हमने सवाल किया हो उनका कड़ा रुख देखने को मिला, आक्रोशित अंदाज़ में उन्होंने कहा कि वो भी जाएंगे... 34 साल बाद इंसाफ मिला है. इन लोगों को भी सज़ा मिलेगी. ऊपरवाला सब देख रहा है.
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को बीते 17 दिसंबर को दिल्ली कैंट इलाके में पांच सिखों की हत्या के लिए दोषी ठहराया था. और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद सज्जन कुमार ने अदालत से सरेंडर करने के लिए और समय मांगा था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने ये समय सीमा बढ़ाने का उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया है.
मामले में 1-2 नवंबर 1984 को दिल्ली कैंट इलाके में भीड़ ने सिख समुदाय के केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेन्द्र सिंह, नरेन्द्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह को जिंदा जलाया था. साल 1985 में तीन शिकायतकर्ताओं ने इस बारे में मामला दर्ज कराया था.
अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 के दंगों में दिल्ली में 2700 से अधिक सिख मारे गये थे जो निश्चित ही ‘अकल्पनीय पैमाने का नरसंहार’था.
Advertisement
Published December 31st, 2018 at 16:13 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।