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Updated January 1st, 2020 at 17:22 IST

PFI पर और कसा शिकंजा, केंद्र को दी गई रिपोर्ट में 'विदेशी फंडिंग' का खुलासा, NIA करेगी जांच

पीएफआई, दिल्ली में स्थित एक संगठन, 22 नवंबर, 2006 को स्थापित किया गया था। पीएफआई और एसडीपीआई को एक-दूसरे के साथ निकटता से माना जाता है।

Reported by: Neeraj Chouhan
(Photo | PTI)
(Photo | PTI) | Image:self
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नागरिकता के नाम पर उत्तर प्रदेश को सुलगाने वालों का बचना अब नामुमकिन है। कट्टरपंथी संगठन PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर यूपी में हिंसा फैलाने का आरोप लगा है। खुफिया रिपोर्ट में ये बात साफ हो गई है कि प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में पीएफआई की भी ‘बड़ी भूमिका’ थी। 

खुलासा हुआ है कि देश में हिंसा फैलाने के लिए विदेश से फंडिंग की गई, फंडिंग के जरिए देश को हिंसा में सुलझाने का काम किया गया, इतना ही नहीं पीएफआई में बैन संगठन सिमी के लोगों के शामिल होने की भी खबर है। इस खुलासे के बाद PFI पर लगाम कसने की तैयारी हो गई है, यूपी सरकार की तरफ से PFI पर बैन लगाने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा गया, यूपी पुलिस ने भी सरकार को रिपोर्ट सौंपी है जिसमें पीएफआई का हाथ होने की बात कही गई है। 

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) हिंसा भड़काने में अपनी कथित भूमिका के लिए पुलिस की गिरफ्त में आ गए हैं। यह अनुरोध उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई एक जांच की पृष्ठभूमि में किया गया था जिसमें 19 दिसंबर को हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन में पीएफआई की कथित भागीदारी पाई गई थी।

पीएफआई, दिल्ली में स्थित एक संगठन, 22 नवंबर, 2006 को स्थापित किया गया था। पीएफआई और एसडीपीआई को एक-दूसरे के साथ निकटता से माना जाता है। एसडीपीआई पूर्व में औपचारिक रूप से चुनाव भी लड़ चुकी है। अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन सहित 20 पीएफआई / एसडीपीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है।

इस महीने की शुरुआत में राज्य में विरोध प्रदर्शनों में लोगों ने नव-संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ असंतोष व्यक्त किया और अपनी वापसी की मांग की। राज्य भर में आंदोलन के दौरान विभिन्न पुलिस कर्मी और प्रदर्शनकारी आपस में भिड़ गए। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए राज्य सरकार ने निषेधात्मक आदेश भी दिए थे। 

यूपी सरकार की चिट्ठी के बाद गृहमंत्रालय हरकत में आ गया है देर रात तक गृहमंत्रालय और एनआईए के अधिकारियों की अहम बैठक हुई। बैठक में पीएफआई की कमर तोड़ने का पूरा खाका तैयार किया गया, गृहमंत्रालय की पूरी नजर पीएफआई के हरकत पर है। पीएफआई को बैन करने और विदेशी फंडिंग रोकने की पूरी तैयारी कर ली गई है। 

इतना ही नहीं नागरिकता कानून को लेकर हिंसा की पूरी जांच एनआईए करेगी।  सवाल है कि देश में आग लगाने वाले कट्टरपंथी संगठन पीएफआई को विदेश से कौन फंडिंग करता है?

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Published January 1st, 2020 at 17:22 IST

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