Updated March 6th, 2019 at 13:10 IST
अयोध्या मामला: मध्यस्थता पर SC ने फैसला रखा सुरक्षित; जानें, कोर्ट में किसी पक्ष ने क्या रखी दलीलें
उच्चतम न्यायालय राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में बड़ी सुनवाई करते हुए इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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उच्चतम न्यायालय राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में बड़ी सुनवाई करते हुए इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि मुस्लिम पक्ष जहां मध्यस्थता के लिए तैयार दिखा, वहीं हिंदू महासभा ने मध्यस्थता का यह कहकर विरोध किया कि वो एक इंच भी "भगवान राम की भूमि" को बांटने के लिए तैयार नहीं है.
मध्यस्थता के पक्ष में
जस्टिस बोबडे
- ये भावनाओं से जुड़ा मामला
- ये दिल, दिमाग और भावनाओं से जुड़ा है
- हम पहले की घटनाओं को नहीं बदल सकते
- आपसी बातचीत से हल हो मसला
- ये विश्वास से जुड़ा मामला
- हम सिर्फ आगे देख सकते हैं
- मधस्थता में कई लोगों का पैनल होगा
- मध्यस्थता हो तो गोपनीय रखी जाए
जस्टिस चंद्रचूड़
- बिना कोशिश के खारिज न करें
- मध्यस्थता = दो पक्षों में सहमति
- फैसला सबको मानना होगा
- मध्यस्थता से नतीजा निकलेगा
- कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
- मध्यस्थता के लिए नाम दें
- सभी पक्षकार नाम बताएं
राजीव धवन, मुस्लिम पक्षकार के वकील
- कोर्ट बस तय करे किस तरह का मामला
- मध्यस्थता के लिए आदेश देंमध्यस्थता से नतीजा मिलेगा
- सफलता या नाकामी मिलेगी
- मीडिया को जानकारी ना दी जाए
मध्यस्थता के विपक्ष में
हिंदू पक्ष
- समझौते को समाज नहीं मानेगा
- हिंदू पक्ष की दलील
- सहमति होना संभव नहीं
सुब्रमण्यम स्वामी
- मध्यस्थता की गुंजाइश नहीं
- किसी भी हाल में बदला नहीं जा सकता
- सरकार किसी को भी जमीन दे सकती है
- विवादित और गैर विवादित जमीनें सरकार की
कॉउंसिल ऑफ रामलला ( ayodhya)
- रामलला पर आस्था और विश्वास
- आस्था और विश्वास पर कोई समझौता नहीं
- सिर्फ एक ही विकल्प बाकी है
- मस्जिद के लिए कोई और जगह दी जाए
निर्मोही अखाड़ा
- पूजा के अधिकार का खंडन नहीं हो सकता
- 400 सालों में सबको मिला पूजा का अधिकार
बता दें, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने विभिन्न पक्षों से मध्यस्थता के जरिये इस दशकों पुराने विवाद का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान किये जाने की संभावना तलाशने को कहा था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि यदि इस विवाद का आपसी सहमति के आधार पर समाधान खोजने की एक प्रतिशत भी संभावना हो तो संबंधित पक्षकारों को मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए।
इस विवाद का मध्यस्थता के जरिये समाधान खोजने का सुझाव पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति एस ए बोबडे ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई के दौरान दिया था। न्यायमूर्ति बोबडे ने यह सुझाव उस वक्त दिया था जब इस विवाद के दोनों हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार उप्र सरकार द्वारा अनुवाद कराने के बाद शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल दस्तावेजों की सत्यता को लेकर उलझ रहे थे ।
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Published March 6th, 2019 at 12:48 IST
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