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सीताराम येंचुरी ने साधा बीजेपी पर निशाना, बोले- 'मोदी द्वारा चुने गए CBI अधिकारी रंगे हाथों पकड़े गए'
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच उपजे विवाद पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए सत्तापक्ष को सवालों के घेरे में खड़ा किया है. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का नाम लिए बिना कहा कि भाजपा और मोदी के एक चहेते अफसर की वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी की छवि पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
येचुरी ने ट्वीट कर कहा ‘‘भाजपा और मोदी की पसंद के अफसर को तमाम विरोधों के बावजूद शीर्ष जांच एजेंसी में तैनात किया गया. इसका एकमात्र मकसद भाजपा नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों की जांच को रोकना था. अब वह अफसर रंगे हाथ पकड़ा गया है.’’
उन्होंने अस्थाना की तैनाती पर सवाल उठाते हुए कहा ‘‘इस अधिकारी को बढ़ावा देने के लिए किसका संरक्षण मिला? सीबीआई निदेशक के सख्त विरोध के बावजूद किसने इस अधिकारी को केंद्रीय जांच एजेंसी के लिए चुना? अगर अब यह अधिकारी दस्तावेजों का ‘फर्जीवाड़ा’ करने और घूसखोरी के लिए पकड़ा जाता है, तब क्या भाजपा में उसके संरक्षकों से सख्त सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए कि इसमें उनकी क्या भूमिका है?’’
येचुरी ने सरकार पर, संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले और जिम्मेदारी से समझौता करने वाले दर्जनों अधिकारियों को पिछले चार साल में देश की अग्रणी एजेंसियों में तैनात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब सिर्फ सरकार के ‘लचर शासन’ की वजह से नहीं हुआ बल्कि इसके पीछे विपक्ष को निशाना बनाने और ‘अपनों’ को जांच से बचाने की ‘बदनीयती’ अहम वजह है.
येचुरी ने कहा ‘‘देश की प्रमुख संस्थाओं की छवि को तहस नहस करने में भाजपा नेतृत्व की भूमिका देश के इतिहास में अतुलनीय रही है. आरएसएस का संविधान विरोधी एजेंडा उजागर करना जरूरी है. घृणा फैलाने वाले इनके तौर तरीकों को पराजित किया जाना चाहिए और यह होकर रहेगा.’’
इस बीच, बसपा ने भी देश की शीर्ष जांच एजेंसी में मचे घमासान पर कहा है कि सीबीआई पर लगे इस धब्बे का मिटना मुश्किल होगा.
बसपा के प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया ने ट्वीट कर कहा ‘‘सीबीआई के ऊपर लगे धब्बे का धुलना मुश्किल. आज तक राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ होती थी जांच. इस संस्था को निष्पक्ष बनाने की सख़्त ज़रूरत.’’
( इनपुट- भाषा )