Updated May 27th, 2020 at 17:47 IST
कोरोना वॉरियर्स: हाथ न होते हुए भी यह महिला रोज़ाना 70 मास्क करती हैं तैयार
ग़ाज़ियाबाद की मूर्ति देवी लॉकडाउन 2 से लेकर आज तक गरीबों को मास्क बांट रही हैं।
Advertisement
कोरोना से बचने के लिए तमाम कदम उठाने की बात कही जाती है जिसमे सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना बहुत ज़रूरी है। इस मुश्किल घड़ी में कई लोग आगे आकर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जो लोगों के लिए खुद अपने घर मे सिलाई मशीन से मास्क तैयार कर रही हैं।
ग़ाज़ियाबाद के लोनी इलाके में रहने वाली मूर्ति देवी के जज़्बे को सलाम है जो लॉकडाउन 2 से लेकर आज तक गरीबों को मास्क बांट रही हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें खास बात क्या है। दरअसल मूर्ति देवी नाम की इस महिला के दोनों हाथ नही हैं। 35 साल पहले एक हादसे में उनके दोनो हाथ कट गए थे। बावजूद इसके इनके जोश में कभी कोई कमी नही आई। पहले घर पर ही हाथ न होते हुए भी कपड़े सिल कर अपने बच्चों की फीस भरी और अब लोगों के लिए मास्क तैयार कर रही हैं।
मूर्ति देवी के मुताबिक, रोज़ाना सुबह उठकर सबसे पहले नहा धोकर ये पूजा करती हैं और फिर करीब 11 बजे के आसपास ये अपनी सिलाई मशीन लेकर मास्क सिलने के लिए बैठ जाती हैं। खास बात ये भी है कि मूर्ति देवी किसी की भी मदद लेना पसंद नही करती। उनका कहना है कि अगर थोड़ी सी परेशानी उठाकर वह अपना काम खुद कर सकती हैं तो वह किसी का भी एहसान क्यो लें, चाहे उनके खुद के बच्चे भी क्यों न हो।
मूर्ति देवी सवेरे 11 बजे से शाम 4 बजे तक पूरी तल्लीनता के साथ मास्क सिलती हैं। मूर्ति देवी का कहना है कि एक दिन में वह करीब 70 के आसपास मास्क सिलकर तैयार कर लेती हैं। अब तक मूर्ति देवी करीब दो से ढाई हजार मास्क तैयार कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मास्क तैयार होने के बाद वह खुद बाहर जाकर लोगों को मास्क देती हैं ताकि कोरोना से बचा जा सके।
हालांकि, मूर्ति देवी एक गरीब परिवार से हैं। इलाके के लोग उन्हें मास्क वाली आंटी के नाम से जानते हैं। लोगों का कहना है कि जब कभी उनके मास्क फट जाते हैं या खराब हो जाते हैं तो वे ख़रीदते नही हैं बल्कि इन्ही मास्क वाली आंटी से लेते हैं।
मूर्ति देवी का कहना है कि जब लॉकडाउन 2 हुआ तो उन्होंने देखा कि लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं जो बेहद खतरनाक है। ऐसे में वह लगातार सोचती थी कि वह लोगों की मदद कैसे करें। एक दिन उन्हें बैठे बैठे ख्याल आया कि क्यों न मास्क ही तैयार किए जाए। फिर वह काम में जुट गई। पहली बार मास्क तैयार करने में काफी दिक्कत आई लेकिन फिर धीरे धीरे सब ठीक हो गया। मूर्ति देवी का कहना है कि वो इतनी समृद्ध नही हैं कि लोगों की किसी और तरह से मदद कर सकें। लेकिन वह इतना तो कर ही सकती हैं कि मास्क सिल कर लोगों को बांट दें।
Advertisement
Published May 27th, 2020 at 16:20 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।